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अब इंग्लिश, फ्रेंच और स्पेनिश में भी गुरवाणी

विदेशों में सिख पहचान को लेकर लोग अब गफलत का शिकार नहीं होंगे। इस पहचान को पुख्ता करने के लिए सिख प्रचारक न सिर्फ विदेशों में अपने धर्म का प्रचार करेंगे बल्कि विदेशियों को उन्हीं की भाषा में सिख धर्म, अपनी वेषभूषा व संस्कृति से अवगत करा अपनेपन का अहसास कराएंगे। ये सब मुमकिन होगा इंग्लिश, स्पेनिश व फ्रेंच भाष

By Edited By: Published: Tue, 28 Aug 2012 08:45 PM (IST)Updated: Tue, 28 Aug 2012 09:48 PM (IST)
अब इंग्लिश, फ्रेंच और  स्पेनिश में भी गुरवाणी

तरनतारन [धर्मवीर मल्हार]। विदेशों में सिख पहचान को लेकर लोग अब गफलत का शिकार नहीं होंगे। इस पहचान को पुख्ता करने के लिए सिख प्रचारक न सिर्फ विदेशों में अपने धर्म का प्रचार करेंगे बल्कि विदेशियों को उन्हीं की भाषा में सिख धर्म, अपनी वेषभूषा व संस्कृति से अवगत करा अपनेपन का अहसास कराएंगे। ये सब मुमकिन होगा इंग्लिश, स्पेनिश व फ्रेंच भाषा में गुरवाणी के ज्ञान से। विदेशों में सिख प्रचारक गुरवाणी का पाठ [प्रवचन] कर सिख धर्म के बारे में समझाएंगे। यह पहल की है पद्मश्री श्री बाबा सेवा सिंह जी कारसेवा खडूर साहिब ने।

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श्री गुरु अंगद देव इंस्टीट्यूट आफ रिलीजियस स्टडीज द्वारा विदेशी भाषाओं में गुरवाणी की शिक्षा उस ऐतिहासिक नगरी खडूर साहिब में दी जा रही है, जहां सिखों के दूसरे गुरु अंगद देव जी ने गुरमुखी लिपि का विस्तार किया था। बाबा सेवा सिंह जी द्वारा खडूर साहिब में बनाई गई निशान-ए-सिखी इमारत में कुछ माह से सिख युवकों को विदेशी भाषाओं में गुरवाणी का ज्ञान निशुल्क दिया जा रहा है। पंजाब के अलावा यहां हरियाणा, जम्मू-कश्मीर और उत्तर प्रदेश से भी आए दर्जनों सिख युवकों को गुरमुखी के अलावा इंग्लिश, स्पेनिश, फ्रेंच आदि विदेशी भाषाओं में गुरवाणी का पाठ करना सिखाया जा रहा है। यहां बीए, एमए के अलावा धार्मिक शिक्षा में भी एमए कराया जाता है। गुरवाणी उच्चारण के साथ शबद गायन की शिक्षा के अलावा तंती साज भी सिखाए जाते हैं। प्रिंसिपल वरियाम सिंह ने दैनिक जागरण को बताया कि श्री अकाल तख्त साहिब के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी जोगिंदर सिंह वेदांती भी यहां पर युवकों को शिक्षा देने आते हैं।

पर्यावरण प्रेमी भी हैं बाबा

बाबा सेवा सिंह कारसेवा खडूर साहिब पर्यावरण के प्रति अपने असीम लगाव के लिए भी जाने जाते हैं। वह पंजाब में करीब तीन हजार करोड़ किलोमीटर सड़कों के किनारे पौधे लगवा चुके हैं। उन्होंने बताया कि पहचान के बिना सिख आए दिन विदेशों में नस्लीय हमलों का शिकार हो रहे हैं, लेकिन अब सिखों की पुख्ता पहचान बनाने के लिए विदेशी भाषाओं में गुरवाणी का ज्ञान मिसाल कायम करेगा।

नेपाली ने अपनाया सिख धर्म

इंस्टीट्यूट में नेपाल से आया एक युवक सिख इतिहास से प्रेरित होकर गुरवाणी की शिक्षा हासिल कर रहा है। साहिब सिंह ने बताया कि सिख धर्म की कुर्बानियों के बारे में पढ़कर ही उसने सिख धर्म अपनाने का निर्णय लिया।

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