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गुजरात निकाय चुनावः शहरों में खिला कमल, गांवों में लहराया हाथ

गुजरात निकाय चुनाव में सभी 6 महानगर पालिका में भाजपा ने सत्ता बरकरार रखी लेकिन ग्रामीण गुजरात का परिणाम आशा से विपरीत रहा। जिला पंचायत में पिछले दो दशक में कांग्रेस सबसे अच्छा प्रदर्शन करते हुए 31 में से 20 पर कब्ज़ा ज़माने में सफल रही.

By Sachin MishraEdited By: Published: Wed, 02 Dec 2015 08:04 AM (IST)Updated: Wed, 02 Dec 2015 07:56 PM (IST)
गुजरात निकाय चुनावः शहरों में खिला कमल, गांवों में लहराया हाथ

अहमदाबाद। गुजरात निकाय चुनाव में सभी 6 महानगर पालिका में भाजपा ने सत्ता बरकरार रखी लेकिन ग्रामीण गुजरात का परिणाम आशा से विपरीत रहा। जिला पंचायत में पिछले दो दशक में कांग्रेस सबसे अच्छा प्रदर्शन करते हुए 31 में से 20 पर कब्ज़ा ज़माने में सफल रही। चुनावी जीत के बावजूद भाजपा की जीत का जश्न फीका रहा लेकिन पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के गांव वीरमगाम में भाजपा की जीत ने पार्टी को खुश कर दिया।

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गुजरात में बीते माह हुए निकाय व् पंचायत चुनाव का परिणाम मिश्रित रहा है शहरी इलाको में भाजपा ने अपना कब्ज़ा कायम रखा लेकिन ग्रामीण इलाको में भाजपा की पकड़ ढीली हो गई. सभी ६ महानगर पालिका में भाजपा ने जीत दर्ज की है साथ ही 52 में से 40 नगर पालिका भी भाजपा के हिस्से में आई है। लेकिन 31 जिला पंचायत में से कांग्रेस ने 20 पर कब्ज़ा जमा लिया जबकि पहले उसके पास एक भी जिला पंचायत नहीं थी। 230 तहसील पंचायत में कांग्रेस ने 116 जबकि भाजपा को 63 पर ही संतोष करना पड़ा।
शहर में भाजपा गाँवों में कांग्रेस
शहरी गुजरात ने भाजपा का एक बार फिर समर्थन किया है लेकिन ग्रामीण गुजरात से भाजपा का जनाधार खिसकता नजर आ रहा है. मुख्यमंत्री आनंदी बेन व गृह राज्य मंत्री रजनी पटेल के गृह नगर मेहसाना में भाजपा की करारी हर हुई है जबकि ऊंझा, बेचराजी में भाजपा को प्रत्यासी तक नहीं मिले। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र रहे वडोदरा जिले में कांग्रेस ने भाजपा पर बढ़त बना ली. इसके अलावा गांधीनगर व दूध क्रांति के लिए विख्यात आनंद में भी कांग्रेस कब्ज़ा जमाने में सफल रही. केन्रीय मंत्री मोहन कुन्दरिया, भाजपा सांसद विट्ठल रादडिया के गांव धोराजी में भी भाजपा को हर का सामना करना पड़ा
जातिगत समीकरण बने बाधक
ग्रामीण गुजरात में भाजपा की हार का प्रमुख कारन जातिगत समीकरण बने हैं। भाजपा विकास के काम को यहाँ भुना नहीं सकी इसीलिए जिला व तहसील पंचायत में भाजपा को पिछड़ना पड़ा। दो दशक की गुजरात की राजनीती में पहला मौका हे जब भाजपा को कांग्रेस के मुकाबले कम सीट मिली है। दिल्ली व बिहार के बाद ग्रामीण गुजरात में भाजपा की पकड़ ढीली होना पार्टी के लिए खतरे का संकेत है। हालाँकि २०१७ में होने वाले विधानसभा चुनाव पर इन नतीजों का कोई खास असर नहीं पड़ने वाला लेकिन भाजपा को नरेंद्र मोदी जैसे दिग्गज नेता के अभाव में अपने दम पर जीत कर दिखाना होगा। मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल के सत्ता सँभालने के बाद यह पहला बड़ा चुनाव था जिसमे उन्होंने अकेले ५० से अधिक सभा की थी. पाटीदार आंदोलन की उपेक्षा व बाद में गुजरात पोलिस की दमन करी नीति आनंदीबेन को भरी पड़ी जिसके चलते ग्रामीण गुजरात से भाजपा को तगड़ा झटका लगा है

मनपा कुल सीट भाजपा कांग्रेस
अहमदाबाद 112 139 48
वडोदरा 76 54 14
सूरत 116 82 34
राजकोट 72 38 34
जामनगर 64 38 24
भावनगर 52 34 18

जिला पंचायत - भाजपा 6 कांग्रेस 20 अन्य 5
तहसील पंचायत - भाजपा 63 कांग्रेस 116 अन्य 49
नगर पालिका - भाजपा 40 कांग्रेस 8 अन्य 4

गुजरात की जनता ने विकास पर भरोसा कियाः अानंदी

मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल ने कहा है की गुजरात की जनता ने विकास विरोधियों को नकारते हुए भाजपा के सबका साथ सबका विकास के वादे पर भरोसा किया है। मुख्यमंत्री ने कहा की चुनाव से पहले जनता को गुमराह करने का प्रयास किया गया लेकिन जनता ने अपनी समझदारी दिखाते हुए भाजपा के हाथ फिर सत्ता सौंपी हे भाजपा प्रवक्ता आई के जडेजा ने कहा की कांग्रेस के नकारात्मक प्रचार को जनता ने नकार दिया सरकार ने गाँव व् शहरों में खूब काम किया ग्रामीण इलाके में पार्टी आंकलन करेगी

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