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हिमाचल में किसके सिर ताज, गुजरात का सरदार कौन; देखें सबसे पहले Jagran.com पर

गुजरात और हिमाचल प्रदेश में किसकी सरकार बनेगी। आने वाला चुनावी नतीजा दिशा तय करेगा।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Sun, 17 Dec 2017 08:29 PM (IST)Updated: Mon, 18 Dec 2017 07:41 AM (IST)
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आशुतोष झा, नई दिल्ली। यूं तो एक्जिट पोल ने इकतरफा घोषित कर दिया है कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश में किसकी सरकार बनेगी। लेकिन सोमवार को आने वाला चुनावी नतीजा लंबे वक्त के लिए राजनीतिक और आर्थिक राह की दिशा भी तय कर देगा। भाजपा की जितनी बड़ी जीत, सुधार के उतने ही बड़े कदम। लंबे भविष्य के लिए नींव और राजनीतिक रूप से राजग का सुदृढीकरण व विपक्ष का बिखराव।

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गुजरात चुनाव को अगर भावी लोकसभा चुनाव की तरह देखा और लड़ा जा रहा था तो उसका प्रभाव भी कुछ वैसा ही होगा इसमें आश्चर्य नहीं। यह और बात है कि शुरू से ही गुजरात में भाजपा सरकार की वापसी को उसी तरह माना जा रहा था जिस तरह 2019 में मोदी सरकार की वापसी का आकलन किया जाता रहा है। यानी दोनों चुनाव जुड़े हैं। एक्जिट पोल ने जो आकलन किया है उसके अनुसार भाजपा लगभग पुराने आंकड़ों के साथ ही गुजरात में वापस होगी। सोमवार को पत्ता खुल जाएगा। गुजरात के साथ साथ हिमाचल प्रदेश का भी।

         

नतीजा आकलन के अनुसार ही आया तो लोकसभा के बाद हुए सत्रह चुनावों में भाजपा दस पर जीत हासिल करने में सफल रहेगी। लेकिन अगर गुजरात में भाजपा की सीटें 115 के उपर गई तो फिर यह भी स्थापित हो जाएगा कि चार साल के मोदी शासन का हर कदम राजनीतिक रूप से भी असरदार है।

          

कारगार है अमित शाह का प्रबंधन

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का प्रबंधन वहां भी कारगर है जहां 22 साल से भाजपा ही सत्ता में है। गौरतलब है कि गुजरात चुनाव के मध्य ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक तरह से हुंकार भरते हुए कहा था कि वह 'देश और समाज निर्माण के लिए सख्त कदम उठाते रहेंगे भले ही उन्हें इसकी राजनीतिक कीमत चुकानी पड़े।'

       

जनता अब विकास को मानती है मुद्दा

जाहिर तौर पर इसे जीएसटी जैसे ऐतिहासिक कदम से जोड़कर देखा जा रहा था जिसका गुजरात में कांग्रेस की ओर से फायदा उठाने की कोशिश हुई थी। इससे पहले नोटबंदी जैसे मुद्दों पर भी कांग्रेस ने ब्यूह रचने की कोशिश की थी लेकिन जनता ने उसे नकार दिया था। लोकसभा चुनाव में अब डेढ़ साल का वक्त है। उससे पहले गुजरात और हिमाचल की बड़ी जीत भाजपा और प्रधानमंत्री को यह आश्वस्त करने के लिए काफी होगी कि जनता अब विकास को मुद्दा मानती है और 'न्यू इंडिया' के लिए योगदान को भी तैयार है।

           

कांग्रेस को करना पड़ेगा विचार

राजनीतिक असर खुद भाजपा के अंदर से लेकर विपक्ष तक पर दिखेगा। भाजपा की बड़ी जीत विपक्षी खेमे की गोंद सुखा देगा। वहीं कांग्रेस के लिए यह घातक होगा क्योंकि नई नई दिखी धार्मिक प्रवृत्ति से वापसी का अर्थ होगा खुद पर उंगली उठाना। भाजपा का यह आरोप पुष्ट होगा कि धर्म का राजनीतिकरण कांग्रेस करती है।

हां, गुजरात में अगर कांग्रेस काफी हद तक भाजपा को नीचे लाने में सफल रही तो भविष्य में भी कांग्रेस इसी राह पर चलती दिख सकती है। लेकिन उसके लिए कांग्रेस को पुराने कई कदमों पर भी विचार करना पड़ेगा जो उसके सहयोगियों को नागवार गुजरेगा। बिहार और दिल्ली चुनाव के बाद से कभी कभी सिर उठाते रहे भाजपा नेताओं और उनके समर्थकों के लिए भी स्पष्ट संदेश होगा कि उनके लिए रास्ता बंद हो चुका है।

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