Move to Jagran APP

जीएसटी दरों में बेहद मुश्किल होगा बदलाव, केवल GST काउंसिल को है यह अधिकार

सीबीईसी ने साफ कर दिया है कि जीएसटी की दरों में बदलाव करना बेहद मुश्किल होगा।

By Kishor JoshiEdited By: Published: Tue, 30 May 2017 02:01 AM (IST)Updated: Tue, 30 May 2017 05:26 AM (IST)
जीएसटी दरों में बेहद मुश्किल होगा बदलाव, केवल GST काउंसिल को है यह अधिकार
जीएसटी दरों में बेहद मुश्किल होगा बदलाव, केवल GST काउंसिल को है यह अधिकार

बेंगलुरु,(जेएनएन)। केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) ने साफ कर दिया है कि जीएसटी की दरों में बदलाव बहुत मुश्किल होगा। सीबीईसी की चेयरपर्सन वनजा सरना ने कहा कि दरों में संशोधन करने का अधिकार केवल जीएसटी काउंसिल को है। एफएमसीजी और ऑटो कंपनियों समेत कई उद्योग और व्यापारी सरकार से जीएसटी दरों में बदलाव के लिए गुहार लगा रहे हैं। सरना सीमा शुल्क, अप्रत्यक्ष कर एवं नारकोटिक्स राष्ट्रीय अकादमी के उद्घाटन कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से बातचीत कर रही थीं।

loksabha election banner

वनजा ने कहा कि जीएसटी पहली जुलाई से लागू होगा। ऐसे में कम समय को देखते हुए वस्तुओं व सेवाओं के लिए एक बार तय कर दी गई कर दरों में बदलाव काफी कठिन होगा। अगर एक बार बदलाव हुआ तो इसके लिए मांग बढ़ती ही जाएगी। अलबत्ता काउंसिल दरों में बदलाव कर सकती है, अगर इसके लिए ठोस कारण हो। बदलाव का फैसला पूरी तरह काउंसिल के विवेक पर ही निर्भर है। इन सभी मुद्दों पर बाद में विचार किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू होने के पहले जो लोग फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें रोकने के लिए मुनाफाखोरी रोकने वाली एजेंसी अभी नहीं बनाई गई है। अगर उद्योग की ओर से दाम बढ़ाने में मनमर्जी की जाती है तो सरकार के पास सवाल उठाने का अधिकार है। केंद्रीय जीएसटी कानून में मुनाफाखोरी को रोकने संबंधी प्रावधान उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए शामिल किया गया है।

सिर्फ नौ माह में सरकार के पास सेस से आएंगे 55,000 करोड़

जीएसटी के लागू होने के बाद चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीने में ही केंद्र सरकार की सेस के जरिये होने वाली कमाई बढ़कर 55,000 करोड़ रुपये हो जाएगी। इसमें तंबाकू जैसी डिमेरिट गुड्स और महंगी कारों जैसे लक्जरी उत्पादों पर लगे उपकर (सेस) का बड़ा योगदान होगा।

कोयले, लक्जरी आइटम और सिन गुड्स (तंबाकू वगैरह) पर सेस के जरिये होने वाली कमाई से राज्यों के राजस्व में कमी की क्षतिपूíत की जाएगी। राज्यों का कहना है कि नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था यानी जीएसटी के लागू होने के बाद उनका राजस्व घट जाएगा।

राजस्व विभाग का अनुमान है कि कोयला, लिग्नाइट और पीट पर सेस से सरकार जुलाई, 2017 से मार्च, 2018 की अवधि में 22,000 करोड़ रुपये जुटाएगी। तंबाकू पर सेस के जरिये 16,000 करोड़ रुपये सरकारी खजाने में आएंगे। यह जानकारी एक सूत्र के हवाले से सामने आई है। इसके अलावा वस्तु एवं सेवा कर मुआवजा निधि में शेष राशि पान मसाला, एरेटेड ¨ड्रक्स और मोटर वाहनों पर सेस के माध्यम से आएगी। विभाग को उम्मीद है कि तमाम तरह के सेस के जरिये मिलने वाली राशि राजस्व कमी की भरपाई कर पाएगी।

यह भी पढ़ें: जीएसटी से आर्थिक क्षेत्र में आएंगे बदलाव : सुब्रमण्यम

यह भी पढ़ें: गांव-देहात में कॉमन सर्विस सेंटर दूर करेंगे जीएसटी संबंधी दिक्कतें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.