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मप्र में शिक्षकों को बनना पड़ा 'वेटर', दिए गए थे लिखित आदेश

मप्र में सामूहिक विवाह के दौरान सरकारी शिक्षकों को वेटर बनने को मजबूर किया गया। इसके लिए उन्‍हें लिखित आदेश दिया गया था।

By Monika minalEdited By: Published: Tue, 23 May 2017 01:17 PM (IST)Updated: Tue, 23 May 2017 01:40 PM (IST)
मप्र में शिक्षकों को बनना पड़ा 'वेटर', दिए गए थे लिखित आदेश
मप्र में शिक्षकों को बनना पड़ा 'वेटर', दिए गए थे लिखित आदेश

भोपाल (जेएनएन)। मध्‍यप्रदेश के सिंगरौली जिले में सोमवार को आयोजित सामूहिक विवाह में खाना परोसने के काम के लिए सरकारी स्‍कूल के शिक्षकों को मजबूर किया गया। जब शिक्षकों ने विरोध किया तब मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के वहां पहुंचने से तुरंत पहले उन्‍हें हटा दिया गया। राज्‍य के स्‍कूल शिक्षा मंत्री दीपक जोशी ने जिला शिक्षा अधिकारी (डीइओ) से मामले की रिपोर्ट मांगी है।

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समारोह में करीब 400 शिक्षकों को खाना परोसने के लिए नियुक्‍त किया गया था। रोचक बात यह है कि इसके लिए शिक्षकों को लिखित आदेश दिया गया था जिसमें उन्‍हें यह बताया गया था कि कौन सा खाना उन्‍हें परोसना होगा। टाइम्‍स ऑफ इंडिया के अनुसार, 20 मई की तारीख वाले डीइओ से अधिकारिक आदेश में कुछ शिक्षकों को पूरी, कुछ को दाल व कुछ चावल, सब्‍जी व अन्‍य सामग्री परोसने का आदेश दिया गया। मुख्‍य मंत्री कन्‍यादान योजना कार्यक्रम के तहत आयोजित सामूहिक विवाह में आए 2390 जोड़ों और उनके परिजनों को खाना परोसने के लिए शिक्षकों को वेटर के काम में लगाया गया था।

विरोध कर रहे शिक्षकों ने वेटर के तौर पर काम करने को अपमानजनक बताया। वहीं बलराम सिंह नामक एक शिक्षक ने कहा, 'जब हमें ऐसा करने का आदेश मिले, तो फिर हम क्या कर सकते हैं। यह काम करना के अलावा हमारे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था। हमसे किसी कार्यक्रम में खाना परोसने को पहली बार कहा गया है।' वहीं मोहनलाल नामक शिक्षक, जिन्हें सलाद परोसने की जिम्मेदारी दी गई थी, ने कहा, 'ड्यूटी तो ड्यूटी होती है, इसलिए हमने आदेश माना।' शिक्षक अध्यापक संघ के जिला यूनिट के पदाधिकारी नीरज द्विवेदी ने कहा, 'मैं अभी बाहर हूं, लेकिन मुझे इस घटना के बारे में पता चला। यह शिक्षकों के सम्मान के साथ खिलवाड़ है। ऐसा आदेश देने से पहले अधिकारियों को दो बार सोचना चाहिए। इस पर कार्रवाई की जाएगी।‘ एक शिक्षक ने अपनी पहचान छिपाने की शर्त पर बताया, ‘ऐसा करते हुए वेटर के जैसा महसूस हो रहा है। यह हमारे सम्‍मान के खिलाफ है।‘ सूत्रों के अनुसार, 20 मई को शिक्षकों की बैठक आयोजित की गयी और बिना समय दिए ही अधिकारियों ने उन्‍हें लिस्‍ट थमा दिया जिसमें उनके नाम के साथ काम असाइन किया गया था।


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