कांग्रेस बसपा समेत अन्य दलों ने की न्यायपालिका में आरक्षण की अपील
कांग्रेस, भाकपा समेत कई दलों ने संविधान में संशोधन करके न्यायापालिका में आरक्षण देने की अपील की है। लेकिन सरकार ने फिलहाल इस तरह का प्रस्ताव न होने की बात की है।
नई दिल्ली (प्रेट्र)। राज्यसभा सांसदों ने संविधान में संशोधन करके न्यायापालिका में आरक्षण देने की अपील की है। कांग्रेस, भाकपा और बसपा समेत कई दलों के नेताओं ने सरकार से अपील की कि इस मुद्दे पर चर्चा के लिए एक सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए। इस पर सरकार ने जवाब दिया कि फिलहाल ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है।
कानून मंत्री सदानंद वी. गौड़ा से उच्च सदन में पूछा गया कि क्या मंत्रालय के पास न्यायिक सेवा में अति पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, मुसलमानों और महिलाओं को आरक्षण दिए जाने के सुझाव या आग्रह मिले हैं। इसके जवाब में गौड़ा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 124 और अनुच्छेद 217 के तहत होती है। इसके तहत किसी भी जाति या वर्ग के व्यक्ति को आरक्षण नहीं दिया जाता है।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सरकार ने हालांकि इस बारे में हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों से अपील जरूर की है कि वह जजों की नियुक्ति के प्रस्ताव भेजते समय इस बात का भी ध्यान रखें कि उपयुक्त उम्मीदवार अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक वर्ग से भी हों। साथ ही महिलाओं को भी वरीयता दिए जाने की अपील की गई है।
हालांकि कांग्रेस, भाकपा और बसपा के सांसदों ने अपील की कि न्यायपालिका में उच्च पदों पर आरक्षण के लिए सभी दलों की बैठक बुलाई जाए। इसके जवाब में गौड़ा ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 235 के तहत जिले के सदस्यों और उनके अधीनस्थ न्यायापालिका में संबंधित हाईकोर्ट के मार्फत राज्य सरकार का प्रशासनिक नियंत्रण रहता है। इसीलिए प्रत्येक राज्य सरकार हाईकोर्ट के साथ परामर्श करके न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति, पदोन्नति आदि देख सकती है। लेकिन केंद्र सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं होती है।
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