चुनाव में रिश्वतखोरी को संज्ञेय अपराध बनाने की योजना बना रही सरकार
केंद्र की राजग सरकार चुनाव के दौरान भ्रष्टाचार पर रोक लगाने की तैयारी में है। इसके लिए वह कानून में संशोधन करके चुनाव के दौरान किसी भी तरह की रिश्वतखोरी को संज्ञेय अपराध बनाने पर विचार कर रही है। इस संशोधन के बाद चुनावों के दौरान नकदी या सामान के
नई दिल्ली। केंद्र की राजग सरकार चुनाव के दौरान भ्रष्टाचार पर रोक लगाने की तैयारी में है। इसके लिए वह कानून में संशोधन करके चुनाव के दौरान किसी भी तरह की रिश्वतखोरी को संज्ञेय अपराध बनाने पर विचार कर रही है। इस संशोधन के बाद चुनावों के दौरान नकदी या सामान के रूप में रिश्वत लेने पर पुलिस को कानून का उल्लंघन करने वालों को बगैर वारंट गिरफ्तारी का अधिकार होगा और इस जुर्म में दो साल तक कैद की सजा दी जा सकेगी।
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि उसके मंत्रालय ने हाल ही में चुनाव आयोग को बताया है कि उसने अपराध प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) में संशोधन की प्रक्रिया शुरू की है। इस बारें में विधि अधिकारियों को संशोधित विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए एक नोट भेजा गया है। यदि यह मसौदा समय पर तैयार हो गया तो हमलोग इस संशोधन विधेयक को संसद के बजट सत्र के उत्तरार्द्ध में पेश कर सकते हैं। संज्ञेय अपराध वे होते हैं जिसमें उस अपराध के लिए पुलिस अधिकारी को बगैर वारंट के गिरफ्तार करने का अधिकार होता है। मौजूदा समय में चुनाव प्रक्रिया के दौरान भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की धारा 171 बी /171ई के तहत मतदाताओं को नकद या सामान रिश्वत देना संज्ञेय अपराध नहीं है। इसमें केवल एक साल तक की कैद या दंड के रूप में जुर्माना लगाने का प्रावधान है।
आयोग ने सरकार को वर्ष 2012 में ही ऐसा करने के लिए सीआरपीसी में संशोधन करने को कहा था। मौजूदा कानून के तहत यह सूचना होने पर भी कि उस घर में नकदी बहुत रखी हुई है बगैर वारंट किसी भी घर की तलाशी नहीं ली जा सकती। अधिकारियों का मानना है कि कानून में बदलाव जरूरी हो गया है क्योंकि स्थानीय चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव तक में रिश्वतखोरी की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। नकदी, शराब, कपड़े, टीवी और अन्य उपहार जैसे घरेलू सामान बांटना चुनाव प्रक्रिया के दौरान कुछ राज्यों में आम बात हो गई है।