बाढ़ पूर्वानुमान नेटवर्क को लेकर सरकार का रवैया बेहद उदासीन
कैग ने जल संसाधन मंत्रालय के पास उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर टेलीमेट्री स्टेशन की बदहाल स्थिति के बारे में जानकारी दी है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। मानसून के समय देश का पूर्वी और उत्तरी हिस्सा भीषण बाढ़ की चपेट में रहता है। इसके बावजूद बाढ़ पूर्वानुमान नेटवर्क को लेकर सरकार का रवैया बेहद उदासीन है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। इसके मुताबिक देश के 60 फीसद टेलीमेट्री स्टेशन ठप पड़े हैं।
बाढ़ से हर साल व्यापक पैमाने पर जान और माल का नुकसान होता है। ऐसे में बाढ़ पूर्वानुमान नेटवर्क को दुरुस्त करने के लिए वर्ष 1997 से 2016 के बीच देश भर के विभिन्न हिस्सों में 375 टेलीमेट्री स्टेशन स्थापित किए गए थे। कैग रिपोर्ट में इसकी दुर्दशा की तस्वीर सामने आई है। इसके मुताबिक 222 स्टेशन ठप पड़े हैं। पर्याप्त सुरक्षा के अभाव में उपकरण या तो चोरी अथवा नष्ट हो चुके हैं।
रडार सेंसर/बबलर के अभाव में भी स्टेशन सही तरीके से काम नहीं कर रहे हैं। शुक्रवार को संसद में पेश रिपोर्ट के अनुसार, टेलीमेट्री स्टेशन के काम न करने के कारण केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) बाढ़ पूर्वानुमान के लिए पारंपरिक तरीकों से जुटाए गए आंकड़ों (मैनुअल डाटा कलेक्शन) पर निर्भर है। टेलीमेट्री स्टेशन सुदूर या मानवीय पहुंच से दूर स्थानों से मौसम संबंधी आंकड़े जुटाता है। इसके काम न करने से सही समय पर जानकारी नहीं मिल पाती है।
कैग ने जल संसाधन मंत्रालय के पास उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर टेलीमेट्री स्टेशन की बदहाल स्थिति के बारे में जानकारी दी है। प्रभावित क्षेत्रों में यमुना के दायरे में आने वाले इलाके, लखनऊ, वाराणसी, पटना, गुवाहाटी, जलपाईगुड़ी, हैदराबाद, चेन्नई और सूरत क्षेत्र शामिल हैं। फिलहाल टेलीमेट्री स्टेशन और पारंपरिक तरीके से प्राप्त आंकड़ों की तुलना कर बाढ़ का पूर्वानुमान लगाया जा रहा है।
विसंगति होने पर पारंपरिक तरीकों से प्राप्त तथ्यों को तवज्जो दी जाती है। जल संसाधन मंत्रालय ने मौजूदा स्थिति को दुरुस्त करने का आश्वासन दिया है। कैग ने इसके लिए समयबद्ध कार्ययोजना तैयार करने की सिफारिश की है।