विधानसभा चुनाव में NDA की प्रचंड जीत के बाद और तेज होगी 'उज्ज्वला' की लौ
सरकार ने तेल कंपनियों को कहा है कि वर्ष 2021 तक दस करोड़ नए एलपीजी कनेक्शन देने के लक्ष्य को वर्ष 2019 तक पूरा कर ले।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश समेत चार राज्यों के चुनाव में भाजपा को मिले बहुमत के लिए रसोई गैस (एलपीजी) कनेक्शन देने की केंद्र की उज्ज्वला योजना को भी एक अहम कारण माना जा रहा है। ग्रामीण इलाकों और गरीब परिवारों के बीच एनडीए सरकार की इमेज बनाने में इस योजना के महत्व को देखते हुए अब इसे और बड़े पैमाने पर आजमाने की तैयारी है।
सरकार ने तेल कंपनियों को कहा है कि वर्ष 2021 तक दस करोड़ नए एलपीजी कनेक्शन देने के लक्ष्य को वर्ष 2019 तक पूरा कर ले। यानी आम चुनाव से पहले देश के 90 फीसद घरों में एलपीजी पर खाना पकने लगे। यह लक्ष्य पूरा होता भी दिख रहा है क्योंकि पहले वर्ष के दौरान ही कंपनियों ने 1.5 करोड़ के निर्धारित लक्ष्य के मुकाबले 3.20 करोड़ कनेक्शन दे दिये हैं।
पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेद्र प्रधान का कहना है कि मौजूदा वित्त वर्ष पूरा होने में अभी एक हफ्ता है लेकिन हमने इस दौरान उज्ज्वला के तहत गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों 1.80 करोड़ परिवारों को गैस कनेक्शन दिए हैं जबकि 1.30 करोड़ कनेक्शन सामान्य परिवारों को दिए गए हैं। ठीक एक वर्ष पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने जब इस योजना को लांच किया था जब पांच वर्षो के भीतर उज्ज्वला के तहत 5 करोड़ और सामान्य परिवारों को भी 5 करोड़ कनेक्शन देने की बात की गई थी। योजना की लांचिंग के समय देश के तकरीबन 25 करोड़ परिवारों में से सिर्फ 14 करोड़ के पास एलपीजी कनेक्शन थे। अब यह आंकड़ा 17.20 करोड़ हो चुका है।
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तेल कंपनियों के अधिकारियों का कहना है अगले वित्त वर्ष यानी 2017-18 में योजना की रफ्तार काफी तेज होगी क्योंकि अब हमारे पास ज्यादा अनुभव है और योजना की खामियों को लेकर जो शुरुआती खामियां थी उसे दूर किया जा चुका है। अर्द्ध-शहरी क्षेत्र के अलावा एलपीजी वितरण का ग्रामीण नेटवर्क तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में अगले वित्त वर्ष के दौरान पांच करोड़ के करीब नए एलपीजी कनेक्शन आसानी से दिए जा सकते हैं। पूरी कोशिश है कि 10 करोड़ नए एलपीजी कनेक्शन देने का काम वर्ष 2019 के मध्य तक पूरा हो जाए। अगर ऐसा होता है तो भारत के 90 फीसद घरों में एलपीजी से खाना पकने लगेगा। सनद रहे कि आगामी आम चुनाव भी अप्रैल-मई, 2019 में होने के आसार हैं।
रसोई घर से बाहर भी
एलपीजी को अधिकांश रसोई तक पहुंचाने के बाद सरकार की योजना अब इसके उद्योग व परिवहन क्षेत्र में विस्तार की तैयारी में जुटी है। प्रधान ने बताया कि तीनों सरकारी कंपनियों को कहा गया है कि देश भर में जहां जहां छोटे छोटे उद्योगों में डीजल का इस्तेमाल होता है उसकी जगह एलपीजी के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की विस्तृत कार्य योजना तैयार करे। खास तौर पर खाद्य प्रसंस्करण, छोटे छोटे घरेलू उपकरण बनाने वाली उन उद्योगों में जहां डीजल फरनेस का इस्तेमाल किया जाता है। भारत में इस समय 20 मिलियन मैट्रिक टन एलपीजी की खपत होती है जिसका 45 फीसद आयातित होता है। देश में इसकी बढ़ती मांग को देखते हुए एलपीजी आयात भी बढ़ाया जा रहा है।
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