मंडी कानून का दूसरा अवतार लायेगी सरकार
राज्यों के साथ चर्चा के बाद कृषि मंत्रालय ने अगले दो तीन महीने के भीतर मॉडल मंडी कानून का दूसरा अवतार लाने का फैसला किया है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। किसानों की आमदनी को दोगुना करने की प्रधानमंत्री की घोषणा पर अमल के लिए सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार करने में जुट गई है। इसके लिए राज्य सरकारों से गहन विचार-विमर्श शुरु कर दिया गया है इसमें सबसे बड़ी चुनौती मंडी कानून में सुधार की है। राज्यों के साथ चर्चा के बाद कृषि मंत्रालय ने अगले दो तीन महीने के भीतर मॉडल मंडी कानून का दूसरा अवतार लाने का फैसला किया है।
वर्ष 2002-3 के दौरान बनाये गये मॉडल मंडी कानून को विभिन्न राज्यों ने अपने-अपने तरीके से खारिज कर दिया है। राज्यों की सहमति और उनकी चिंताओं का ध्यान रखते हुए नया कानून बनाया जायेगा। इसमें कांट्रैक्ट खेती, बटाईदारी पर दी जाने वाली खेती और किसान से की जाने सीधी खरीद जैसे मसले को नियमित किया जाएगा।
नीति आयोग के सदस्य (कृषि) रमेशचंद ने राज्यों के साथ हुई बैठक के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने राज्यों की चिंताओं का भी जिक्र किया। पंजाब व हरियाणा जैसे राज्य मंडी कानून में सुधार से बच रहे हैं। उन्हें मंडी टैक्स से सालाना डेढ़ से दो हजार करोड़ रुपये की आय होती है, जो खत्म हो सकती है। इसी तरह अन्य राज्यों ने भी अपनी-अपनी मुश्किलें गिनाईं। उन्होंने बताया भूमि संबंधी कानून में भी पर्याप्त सुधार की जरूरत है, ताकि लोगों को अपने खेत दूसरे किसानों को पट्टे पर देने में सहूलियत हो।
एक अन्य सवाल के जवाब में रमेशचंद ने बताया कि जीएम प्रौद्योगिकी को अपनाने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि जिन तकनीकी व वैज्ञानिक संस्थाओं की स्थापना हमने की है, उसके फैसलों पर यकीन करना भी आवश्यक है। जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रूवल कमेटी (जीइएसी) के निष्कर्षो पर भला कोई व्यक्ति संदेह कैसे कर सकता है। उसके फैसलों को हमे निर्विवाद रूप से स्वीकार करना होगा। दाल व खाद्य तेल के मामले में हमारी उत्पादकता बढ़ाए नहीं बढ़ रही है, जिसके लिए दुनिया में कोई प्रौद्योगिकी है तो हमे उसे सहर्ष स्वीकार करने की जरूरत है। देश में 70 फीसद खाद्य तेलों का आयात होता है, जिसमें कितना हिस्सा जीएम फसलों का होता है, इसे कौन जांचता है?
मंडी कानून के बारे में उन्होंने कहा कि निजी मंडियों के आने से कारोबार में प्रतिस्पर्धा होगी। मौजूदा मंडी प्रणाली का एकाधिकार टूटेगा, तो किसानों को फायदा होगा। मेड़ों पर लगाये जाने वाले पेड़ों की कटाई पर वन कानून में संशोधन के बारे में रमेशचंद ने बताया कि वर्ष 2014 में इसमें पर्याप्त संशोधन किया गया है। राज्यों को इसे अपने तरीके से अधिसूचित करने की जरूरत है। लकडि़यों की ढुलाई के लिए अंतरराज्यीय ट्रांजिट कानून बनाने की आवश्यकता है।
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