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ऑटोमैटिक मंजूरी के रास्ते ज्यादा एफडीआइ चाहती है सरकार

सरकार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) की अनुमति वाले करीब 98 सेक्टर को ऑटोमैटिक मंजूरी के तहत लाने की योजना पर काम कर रही है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2015 09:42 PM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2015 10:08 PM (IST)
ऑटोमैटिक मंजूरी के रास्ते ज्यादा एफडीआइ चाहती है सरकार

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) की अनुमति वाले करीब 98 सेक्टर को ऑटोमैटिक मंजूरी के तहत लाने की योजना पर काम कर रही है। सरकार चाहती है कि देश में ऐसी नीतियां हों जिससे उद्योगपतियों को उद्योग या वित्त मंत्रालय तक जाने की आवश्यकता ही नहीं पड़े।

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सरकार के एक उच्चाधिकारी के मुताबिक ज्यादा से ज्यादा क्षेत्रों को एफडीआइ के लिए ऑटोमैटिक रूट पर डालने के प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार की मंशा है कि देश में आने वाला 92 फीसद विदेशी निवेश ऑटोमैटिक रूट के माध्यम से ही आए। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के औद्योगिक नीति व संवर्धन विभाग (डीआइपीपी) में सचिव अमिताभ कांत ने कहा कि हम नहीं चाहते कि किसी उद्योगपति को वित्त मंत्रालय जाने की आवश्यकता पड़े। नियमों के मुताबिक अभी जिन क्षेत्रों में एफडीआइ के लिए ऑटोमैटिक मंजूरी का प्रावधान नहीं है, उन्हें विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआइपीबी) से अनुमति लेनी पड़ती है जो वित्त मंत्रालय के तहत आता है।

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कांत ने कहा कि सरकार देश में कारोबार करना आसान बनाने के तमाम उपाय कर रही है। इन्हीं उपायों के चलते विश्व बैंक की रिपोर्ट में इस साल भारत का स्थान दुनिया के देशों की सूची में 130वां रहा है। इस सूची के पहले पचास देशों में शामिल होने के लिए आवश्यक है कि राज्यों और केंद्र दोनों स्तर पर नियमों को आसान बनाया जाए। डीआइपीपी सचिव ने कहा, 'मेरा मानना है कि अगर 12 राज्य दस फीसद की रफ्तार से विकास करने लगें तो पूरे देश की आर्थिक विकास दर को नौ से दस फीसद तक लाया जा सकता है।' लेकिन इसके लिए राज्यों को भी विदेशी निवेश आकर्षित करने के प्रयास करने होंगे।

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कांत ने कहा कि सिंगापुर अगर कारोबार करना आसान बनाने वाले देशों की सूची में शीर्ष पर है तो हमें भी अपने देश में कम से कम दस सिंगापुर तैयार करने होंगे। ये राज्य ही पूरे देश के विकास का इंजन बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि उद्योग जगत का भरोसा केंद्रीय नेतृत्व पर दिख रहा है।


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