निजी कृषि शिक्षा संस्थानों पर कसेगी नकेल
कृषि क्षेत्र पर सरकार का पूरा जोर है। अगले कुछ सालों में किसानों की आय को दोगुना करने और खेती को लाभ का कारोबार बनाने की दिशा में कई कारगर पहल की गई है।
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। कृषि शिक्षा के क्षेत्र में कुकुरमुत्ते की जगह उग आये प्राइवेट शिक्षा संस्थानों पर सरकार ने नकेल कसने की तैयारी कर ली है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की तर्ज पर नियामक संस्था काम करेगी, जो कृषि शिक्षण संस्थानों पर कड़ी नजर रखेगी। देश में सैकड़ों की संख्या में निजी कृषि संस्थान खोले जा रहे हैं, जिनके नियमन का फिलहाल कोई बंदोबस्त नहीं है।
कृषि क्षेत्र पर सरकार का पूरा जोर है। अगले कुछ सालों में किसानों की आय को दोगुना करने और खेती को लाभ का कारोबार बनाने की दिशा में कई कारगर पहल की गई है। लेकिन यह क्षेत्र कुशल मानव संसाधन के अभाव से गंभीर रूप से जूझ रहा है। कुशल लोगों की मांग व आपूर्ति के अंतर को देखते हुए निजी क्षेत्र के लिए यह आकर्षण का केंद्र बन गया है। राज्यों में खुले कृषि विश्वविद्यालयों से मान्यता प्राप्त कर सैकड़ों की संख्या में ऐसे डिम्ड विश्वविद्यालय और संस्थान खोले जा चुके हैं।
लेकिन केंद्रीय स्तर पर ऐसे संस्थानों और विश्वविद्यालयों की निगरानी का कोई इंतजाम न होने से लोगों में संदेह पैदा होने लगा है। इसे देखते हुए सरकार ने इसके नियमन के लिए नेशनल काउंसिल आफ हायर एग्रीकल्चर एजुकेशन का स्थापना का मसौदा तैयार किया है। इस मसौदे को मानव संसाधन, साइंस एंड टेक्नोलॉजी और विधि मंत्रालय की हरी झंडी मिल चुकी है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस मसौदे में संशोधन के कुछ सुझाव दिये थे, जिसे इसमें शामिल कर लिया गया है।
निगरानी करने वाली प्रस्तावित यह संस्था निजी संस्थानों को मान्यता देने और निर्धारित मानदंडों पर खरा उतरने की गारंटी पर लेगा। मानकों का पालन न करने वाले संस्थानों की मान्यता देने और मान्यता वापस लेने का भी अधिकार होगा। कृषि मंत्रालय में इस समय लगातार ऐसे प्राइवेट संस्थानों के बारे में जानकारी मांगी जा रही है, जो चमक दमक के साथ खोले गये हैं।
कृषि मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक प्रस्तावित मसौदे पर संबंधित मंत्रालयों व विभागों की हरी झंडी मिल जाने के बाद उसे जल्दी ही कैबिनेट में पेश किया जाएगा। माना जा रहा है कि यह नई व्यवस्था आगामी शिक्षा सत्र से लागू कर दी जाएगी। मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक राज्यों के विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त संस्थान धड़ल्ले से खुल रहे हैं। उत्तर प्रदेश में अब तक तीन दर्जन, महाराष्ट्र में सवा सौ से अधिक, बिहार में दो दर्जन, तमिलनाडु में 75, कर्नाटक में 45 और राजस्थान में 35 कृषि कालेज व संस्थान खोले जा चुके हैं।
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