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कॉल ड्रॉप पर कसेगी मोबाइल कंपनियों की नकेल

एक तरफ जहां राजग सरकार डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के जरिये देश के गांवों को भी तेज चलने वाले इंटरनेट से जोड़ने की योजना बना रही है, वही आम मोबाइल ग्राहकों को निर्बाध कॉल सेवा भी नहीं मिल पा रही है।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Tue, 07 Jul 2015 10:01 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jul 2015 10:15 PM (IST)
कॉल ड्रॉप पर कसेगी मोबाइल कंपनियों की नकेल

नई दिल्ली,जागरण ब्यूरो । एक तरफ जहां राजग सरकार डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के जरिये देश के गांवों को भी तेज चलने वाले इंटरनेट से जोड़ने की योजना बना रही है, वही आम मोबाइल ग्राहकों को निर्बाध कॉल सेवा भी नहीं मिल पा रही है। कॉल ड्रॉप की बढ़ती दिक्कतों से परेशान आम जनता को राहत देने के लिए सरकार ने मोबाइल कंपनियों पर नकेल कसने की तैयारी तो की है लेकिन इससे बात कितनी बनेगी यह अभी कहना मुश्किल है। दूरसंचार मंत्रालय ने मंगलवार को मोबाइल कंपनियों की सेवाओं की गुणवत्ता का ऑडिट करवाने का फैसला किया है ताकि कॉल ड्रॉप की असली स्थिति का पता लगाया जा सके। लेकिन, ये सभी आंकड़े पहले से ही दूरसंचार नियामक ट्राई के पास हैं।

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संचार व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस दिन कॉल ड्रॉप की समस्या पर गंभीर चिंता जताई। प्रसाद ने बताया कि मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों को अब पर्याप्त स्पेक्ट्रम दिया जा चुका है और वे बेहतरीन कॉल सर्विस देने की अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते। कंपनियों को अपने नेटवर्क को बेहतर बनाने के लिए हरसंभव कदम उठाने होंगे। प्रसाद ने इन कंपनियों से आग्रह किया है कि वे अपनी रेडियो फ्रीक्वेंसी का अधिकतम इस्तेमाल करने की व्यवस्था करें। जब उनसे यह पूछा गया कि जब कंपनियां लगातार चेतावनी के बावजूद बेहतर सेवा नहीं दे पा रही हैं तो क्या उनके खिलाफ कदम नहीं उठाए जाने चाहिए तो उनका जबाव था कि दूरसंचार विभाग (डॉट) ने इस बारे में एक प्रस्ताव ट्राई को भेजा है। इसमें बेहतर सेवा देने वाली कंपनी को प्रोत्साहन देने और खराब सेवा देने वाली कंपनी पर जुर्माना लगाने के प्रावधान का प्रस्ताव किया गया है। उन्होंने अपने मंत्रालय के इस फैसले के बारे में बताया कि कंपनियों की सेवा की गुणवत्ता को जांचने के लिए मेट्रो शहरों और सभी राज्यों की राजधानियों में स्पेशल ऑडिट किया जाएगा।

सरकार के स्तर पर कुछ और कदम उठाए गए हैं। मसलन, सरकारी भवनों के ऊपर मोबाइल टावर लगाने के लिए दूरसंचार विभाग शहरी विकास मंत्रालय के साथ मिलकर रणनीति बनाएगा। प्रसाद इस बारे में राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखने वाले हैं कि वे भी सरकारी भवनों के ऊपर मोबाइल टावर लगाने की नीति बनाएं। साथ ही भवनों के भीतर कॉल ड्रॉप की समस्या से निपटने के लिए मोबाइल कंपनियों को एक साथ भवनों के भीतर ट्रांसमिशन व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया है। इस बारे में भी राज्यों के मुख्यमंत्रियों का ध्यान आकर्षित किया जाएगा कि वे कंपनियों को सुविधा दें कि वे सरकारी भवनों या अन्य भवनों के भीतर संयुक्त तौर पर बेहतर नेटवर्क लगाएं।

दरअसल, मोबाइल फोन में कॉल ड्रॉप की समस्या के पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि कई जगहों पर मोबाइल टावरों को हटाने की मुहिम छेड़ दी गई है। मोबाइल कंपनियों को टावर लगाने की जगह नहीं मिल पा रही है। प्रसाद ने इस समस्या को स्वीकार करते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन समेत देश के छह उच्च न्यायालयों के आदेश का उदाहरण देते हुए कहा कि अभी तक इस बात के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं कि मोबाइल टावरों से निकलने वाले विकिरण से स्वास्थ्य को हानि होती है।

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