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झोला छाप डाक्टरों को मान्यता देने की तैयारी

देशभर में झोला छाप डाक्टरों के खिलाफ सख्त कदम की मांग के बीच केंद्र सरकार उन्हें औपचारिक तौर पर मान्यता देने की तैयारी कर रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा है कि देश में डाक्टरों की कमी को देखते हुए ऐसा किया जाना जरूरी हो गया है। पिछली सरकार के दौरान गांवों में डाक्टरों की कमी को दूर करन

By Sudhir JhaEdited By: Published: Wed, 01 Oct 2014 10:12 PM (IST)Updated: Wed, 01 Oct 2014 10:10 PM (IST)
झोला छाप डाक्टरों को मान्यता देने की तैयारी

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। देशभर में झोला छाप डाक्टरों के खिलाफ सख्त कदम की मांग के बीच केंद्र सरकार उन्हें औपचारिक तौर पर मान्यता देने की तैयारी कर रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा है कि देश में डाक्टरों की कमी को देखते हुए ऐसा किया जाना जरूरी हो गया है। पिछली सरकार के दौरान गांवों में डाक्टरों की कमी को दूर करने के लिए जिस विशेष पाठ्यक्रम की तैयारी की गई थी, उस पर सरकार कोई पहल नहीं कर रही।

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देशवासियों की सेहत दुरुस्त रखने के की चुनौतियों के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री नया फार्मूला लेकर सामने आए हैं। उन्होंने माना है कि देश में बड़ी तादाद में झोला छाप डाक्टर सक्रिय हैं। मगर कार्रवाई के बजाय उन्होंने इनका उपयोग करने पर जोर दिया है। हर्षवर्धन ने कहा, ऐसे बहुत से लोग कई वर्षो से बीमारों का इलाज कर रहे हैं। अब देखा जाएगा कि लोगों को इलाज उपलब्ध करवाने में कैसे इनका उपयोग किया जाए। जरूरत पड़ी तो उन्हें अल्प अवधि का प्रशिक्षण भी दिया जा सकता है। उनका यह बयान इसलिए भी हैरान करने वाला है, क्योंकि बिना जरूरी डिग्री के लोगों का इलाज करने वाले इन झोला छाप डाक्टरों की वजह से अक्सर मरीज गंभीर संकट में पड़ जाते हैं। एंटी बॉयटिक और दूसरी दवाओं के अतार्किक प्रयोग को भी इससे काफी बढ़ावा मिल रहा है।

राज्य सरकारों पर छोड़ी संप्रग की योजना गांवों में डाक्टरों की कमी को दूर करने के लिए संप्रग सरकार के दौरान साढ़े तीन साल के जिस विशेष पाठ्यक्रम की तैयारी की गई थी, उसे नई सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है। हालांकि इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने सैद्धांतिक रूप से इस पाठ्यक्रम से सहमति जताई। मगर सरकार की ओर से कोई पहल करने की बजाय उन्होंने इसके लिए खुद राज्यों को ही आगे बढ़ने को कह दिया। हर्षवर्धन के मुताबिक राज्य सरकारें आगे बढ़कर अपने यहां इसे लागू करें। जबकि इसके लिए जरूरी है कि पाठ्यक्रम को भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद की मान्यता दिलवाई जाए। इसी तरह हर जिला अस्पताल में इसके लिए खास तौर पर मेडिकल कालेज खोला जाना था। योजना के मुताबिक जरूरी ढांचागत सुविधाओं के लिए केंद्र सरकार को आर्थिक मदद उपलब्ध करवानी थी।

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