सरकार ने पेश किया पुराने वाहनों को हटाने का खाका
इसके तहत लगभग दो करोड़ अस्सी लाख पुराने वाहनों को बदले जाने का अनुमान है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वायु प्रदूषण में कमी लाने के लिए सरकार ने पुराने और अनफिट वाहनों को सड़कों से हटाकर उनकी जगह नए व वाहनों की खरीद को प्रोत्साहित करने के लिए वॉलंटरी वेहिकल फ्लीट मॉडर्नाजेशन प्रोग्राम (वी-वीएमपी) का लाने का प्रस्ताव किया है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इसका मसौदा जारी कर 14 दिन के भीतर लोगों से सुझाव व आपत्तियां मांगी हैं।
इसके अनुसार 31 मार्च, 2005 से पहले खरीदे गए पुराने वाहनों को बेचने व उनकी जगह नए वाहनों की खरीद को बढ़ावा देने के लिए सरकार वालंटरी वेहिकल फ्लीट माडर्नाइजेशन प्लान (वी-वीएमपी) लाएगी। इसके तहत लगभग दो करोड़ अस्सी लाख पुराने वाहनों को बदले जाने का अनुमान है। इनकी जगह खरीदे जाने वाले नए वाहन बीएस-4 उत्सर्जन मानक वाले होंगे, जिसे अप्रैल, 2017 से अनिवार्य किया जा रहा है। पुराना वाहन बेचने वालों को वाहन के वजन के अनुसार उचित कीमत के अलावा नया वाहन खरीदने पर सरकार की ओर से उत्पाद शुल्क में 50 फीसद तक छूट के अलावा निर्माता की ओर से विशेष डिस्काउंट दिया जाएगा। सरकारी बसों को एक्साइज ड्यूटी से पूरी छूट मिलेगी। पुराने वाहनों को तोड़ने और स्क्रैप के रूप में बेचने के लिए जगह-जगह रीसाइक्लिंग व श्रेडिंग सेंटर स्थापित किए जाएंगे।
सरकार का मानना है कि स्कीम लागू होने पर मझोले व भारी वाणिज्यिक वाहनों के कार्बन डायऑक्साइड उत्सर्जन में 17 फीसद, हाइड्रोकार्बन व नाइट्रोजन आक्साइड उत्सर्जन में 18 फीसद तथा निलंबित कणों (पीएम) उत्सर्जन में 24 फीसद की कमी आएगी।
इसी प्रकार हल्के वाणिज्यिक वाहनों में उत्सर्जनों में कमी क्रमश: 4, 1 तथा 3 फीसद, पैसेंजर कारों के मामले में 2, 1 व 2 फीसद तथा दुपहियों/तिपहियों के मामले में क्रमश: 17, 18 और 24 फीसद होगी।
देश में तकरीबन 18 करोड़ पंजीकृत वाहन हैं। 25 सालों में इनमें आठ गुना बढ़ोतरी हुई है। इनमें ट्रक व बस केवल 2.5 फीसद हैं, लेकिन करीब 60 फीसद प्रदूषण करते हैं। इनमें भी दस साल से ज्यादा पुराने वाहनों की प्रमुख भूमिका है जो संख्या में महज 15 फीसद होकर भी नए वाहनों के मुकाबले 10-12 गुना अधिक प्रदूषण फैलाते हैं।
कैसे काम करेगी स्कीम
संपूर्ण व्यवस्था वाहन स्वामी, रीसाइक्लिंग व श्रेडिंग सेंटर, निर्माता, विक्रेता और सरकार के बीच क्रमबद्ध ढंग से चलेगी। सबसे पहले वाहन स्वामी अपने पुराने वाहन की आरसी व इंश्योरेंस तथा अपने पहचानपत्र की प्रतियां जमा कलेक्शन सेंटर (रीसाइक्लिंग व श्रेडिंग सेंटर की ही शाखा) में इलेक्ट्रानिक रूप से जमा कराएगा। कलेक्शन सेंटर वाहन डेटाबेस के जरिए स्वामी के नाम, वाहन के चेसिस व इंजन नंबर आदि की जांच करेगा। पुष्टि के बाद वाहनस्वामी को अपना पुराना वाहन जमा करने तथा वी-वीएमपी सर्टिफिकेट प्राप्त करने को कहा जाएगा। स्वामी के वाहन व कागजात जमा कराने पर कलेक्शन सेंटर द्वारा उसे वाहन का स्क्रैप मूल्य बताया जाएगा। इसका निर्धारण बाजार शक्तियों के आधार पर पारदर्शी ढंग से होगा। यदि वाहन स्वामी इस कीमत पर वाहन बेचने को तैयार हुआ तो उसे डिस्काउंट राशि के साथ वी-वीएमपी सर्टिफिकेट दे दिया जाएगा। इसके बाद वाहन की पूरी जिम्मेदारी कलेक्शन व श्रेडिंग सेटर की होगी। वह सारे विवरण को केंद्रीय डेटाबेस में अपडेट करेगा।
इसके बाद स्वामी नया वाहन खरीदने के लिए डीलर के पास पहंुचेगा। अपनी पसंद का वाहन चुनेगा और वी-वीएमपी सर्टिफिकेट व पहचानपत्र दिखाएगा। डीलर उनकी जांच व पुष्टि करने के बाद केंद्रीय डेटाबेस में वी-वीएमपी सर्टिफिकेट के साथ नए वाहन का ब्यौरा फीड करेगा। इसके बाद डीलर सर्टिफिकेट व तथा इनवाइस की प्रतियां वाहन निर्माता को कागजी तौर पर हस्तांतरित करेगा और वाहन पर उसके द्वारा प्रदत्त डिस्काउंट की भरपाई की मांग करेगा। वाहन निर्माता अपने खातों में समायोजन कर सरकार को अदा किए जाने वाले रियायती उत्पाद शुल्क का ब्यौरा भरेगा और डीलर को डिस्काउंट का भुगतान करेगा। उधर श्रेडिंग सेंटर वाहन को तोड़ने के लिए स्क्रैपयार्ड में भेज देगा। वहां उसे पर्यावरण अनुकूल ढंग से नियमानुसार उपयोगविहीन अवस्था में तब्दील कर दिया जाएगा। इसी के साथ पुराने वाहन का आरसी भी रद कर दिया जाएगा। श्रेडिंग सेंटर वाहन को तोड़ने का भौतिक व इलेक्ट्रानिक सबूत भी रखेगा। वाहन श्रेडिंग के लिए अलग से नियम-कायदे बनाए जाएंगे।
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