मोटर बिल पर विपक्ष को मनाने में जुटी सरकार
संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी से मोटर बिल पर गतिरोध समाप्त करने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाने का अनुरोध किया है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। मोटर विधेयक को चालू सत्र के दौरान ही पारित कराने के लिए सरकार विपक्षी दलों के साथ सहमति बनाने का प्रयास कर रही है। इसके लिए बुधवार को राज्यसभा के सभापति की मौजूदगी में सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है।
संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी से मोटर बिल पर गतिरोध समाप्त करने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाने का अनुरोध किया है। दरअसल विपक्ष के रुख को देखते हुए सरकार ने नरम रुख अपनाने के मूड में है। विधेयक प्रवर समिति में न जाए इसके लिए वह विपक्ष के सारे संशोधन स्वीकार करने को तैयार है।
सोमवार को सरकार ने विधेयक को राज्यसभा की कार्यवाही में सूचीबद्ध कराया था। परंतु सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की अनुपस्थिति में इसे पेश नहीं किया जा सका। कांग्रेस और द्रमुक सदस्यों ने बिल को प्रवर समिति को सौंपे जाने की मांग उठाई। परंतु उपसभापति पीजे कुरियन ने कहा कि संबंधित मंत्री के बगैर ऐसा करना संभव नहीं है। इस पर कांग्रेस के आनंद शर्मा ने कहा कि 'नहीं हो सकता कहने से मामला खत्म नहीं हो जाता। इस मसले पर पिछले हफ्ते कार्य मंत्रणा समिति में चर्चा हुई थी। जिसमें कई दलों ने कहा कि स्थायी समिति के सुझावों को सरकार ने पूरी तरह स्वीकार नहीं किया है। इसलिए सदन को ही कोई फैसला लेना चाहिए। इसलिए इस विषय को लटकाया नहीं जा सकता। कुरियन ने कहा कि इस तरह का प्रस्ताव (प्रवर समिति को भेजने) पेश करने के लिए पहले संबंधित मंत्री को आकर बिल पेश करना होगा। संसदीय कार्य मंत्री भी यह काम नहीं कर सकते। आनंद शर्मा ने कहा कि पिछली बार की तरह हम सरकार से गच्चा नहीं खाना चाहते। द्रमुक के तिरुची शिवा ने भी बिल को प्रवर समिति के हवाले करने की मांग की। संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने सदस्यों को भरोसा दिया कि संबंधित मंत्री को उनकी चिंताओं से अवगत करा दिया जाएगा।
मोटर वाहन संशोधन विधेयक लोकसभा से पास हो चुका है। जबकि राज्य सभा से पास होना है। सरकार विधेयक को जल्द से जल्द पारित कराना चाहती है। जबकि विपक्ष विधेयक को मौजूदा रूप में पारित कराए जाने के खिलाफ है। उसका कहना है कि सरकार जल्दबाजी में सड़क सुरक्षा के आधे-अधूरे प्रावधान लागू कराना चाहती है। परंतु सरकार का कहना है कि स्थायी संसदीय समिति और राज्यों के परिवहन मंत्रियों की समिति से चर्चा और सभी दलों की सहमति के बाद ही विधेयक लोकसभा में पारित हुआ था।
मोटर वाहन संशोधन विधेयक में यातायात नियम उल्लंघन करने वालों पर बढ़े जुर्माने लगाने, लाइसेंस प्रणाली में सुधार करने, दुर्घटना पीडि़तों के मददगार भले लोगों को उत्पीड़न से बचाने तथा वाहन चोरी के फर्जी मामलों पर अंकुश लगाने जैसे कई नए प्रावधान हैं।
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