दस हजार करोड़ के बायो एनर्जी मिशन की तैयारी
एकीकृत बायो एनर्जी मिशन का उद्देश्य ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाना होगा। इस मकसद को हासिल करने के लिए कोयला, पेट्रोल,डीजल,प्राकृतिक गैस अन्य हरित ईंधनों को मिलाया जाएगा।
नई दिल्ली, प्रेट्र : केंद्र सरकार अगले वित्त वर्ष से 10,000 करोड़ रुपये की लागत वाले एकीकृत बायो एनर्जी मिशन शुरू करने की योजना बना रही है। इसके जरिये जीवाश्म ईंधन की खपत घटाने की खातिर एथनॉल और बायोगैस जैसे जैव ईंधनों के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अक्षय ऊर्जा मंत्रालय इस मिशन पर काम कर रहा है। यह अगले वित्त वर्ष 2017-18 से लेकर 2021-22 तक चलेगा। मिशन का उद्देश्य ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाना होगा। इस मकसद को हासिल करने के लिए कोयला, पेट्रोल, डीजल, प्राकृतिक गैस और एलपीजी में बायोमास पेलेट, बायो-एथनॉल, बायो-डीजल, बायो-मीथेन और अन्य हरित ईंधनों को मिलाया जाएगा। दूसरा विकल्प यह है कि पारंपरिक जीवाश्म ईंधनों की जगह नए हरित ईंधनों को लाया जाएगा। यह बदलाव बिजली और गैर-बिजली दोनों तरह के उपयोगों में होगा। फिलहाल पेट्रोल में पांच फीसद एथनॉल मिलाया जा रहा है।
इस अधिकारी के मुताबिक मिशन को मदद देने के लिए कपूरथला में स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायो एनर्जी को अपग्रेड करके विश्वस्तरीय संस्थान बनाए जाने के आसार हैं। सरकार ने अक्षय ऊर्जा मंत्रालय के पूर्व सलाहकार एके धुस्सा की अगुआई में एक तकनीकी कमेटी बनाने का फैसला किया है। यह समिति मिशन के लिए स्कीमें तैयार कर आधार दस्तावेज बनाएगी।
सरकार ने देश में वर्ष 2022 तक अक्षय ऊर्जा से 175 गीगावॉट बिजली उत्पादन क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य तय कर रखा है। इसमें से 100 गीगावॉट सौर ऊर्जा और 60 गीगावॉट पवन ऊर्जा से आएगा। इस साल मार्च के अंत में बायोगैस के जरिये बिजली उत्पादन की क्षमता 4.8 गीगावॉट थी। जबकि 2012 के समान महीने में यह क्षमता 3.1 गीगावॉट थी। इस लिहाज से अक्षय ऊर्जा के इस स्त्रोत का दोहन करने के मामले में रफ्तार बेहद धीमी है। बायो एनर्जी मिशन के अमल में आने से इसमें तेजी आएगी।
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