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नई मेगा पावर पॉलिसी से 24 बिजली प्लांट के दिन बहुरेंगे

देश में करीब 30 हजार मेगावाट की ताप बिजली परियोजनाएं किसी न किसी वजह से लंबित हैं।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Tue, 28 Mar 2017 07:39 PM (IST)Updated: Wed, 29 Mar 2017 01:23 AM (IST)
नई मेगा पावर पॉलिसी से 24  बिजली प्लांट के दिन बहुरेंगे
नई मेगा पावर पॉलिसी से 24 बिजली प्लांट के दिन बहुरेंगे

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। देश में बिजली की उपलब्धता बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार बुधवार को एक अहम घोषणा कर सकती है। इसके तहत कई वजहों से लंबित तकरीबन दो दर्जन बिजली परियोजनाओं को मेगा परियोजना का दर्जा मिलने की संभावना है। इससे देश में 30 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन सुनिश्चित किया जा सकेगा। इसके लिए सरकार मेगा पावर नीति 2017 लाने जा रही है जिसके प्रस्ताव पर कैबिनेट में चर्चा होने की उम्मीद है। इससे न केवल सस्ती बिजली मिलने का रास्ता साफ होगा बल्कि बिजली क्षेत्र में बकाया बैंकों के फंसे कर्जे (एनपीए) की स्थिति को सुधारने में भी मदद मिलेगी।

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सूत्रों के मुताबिक वर्ष 2009 में लागू मेगा पावर पॉलिसी की जगह सरकार नई पॉलिसी लाना चाहती है जो बैंकों के कर्ज व अन्य तकनीकी दिक्कतों से जूझती कई ताप बिजली परियोजनाओं से बिजली का उत्पादन सुनिश्चित कर सकेगी। देश में करीब 30 हजार मेगावाट की ताप बिजली परियोजनाएं किसी न किसी वजह से लंबित हैं। इनमें से 11 हजार मेगावाट की क्षमता की परियोजनाएं तो शुरु हो चुकी हैं लेकिन करीब 20 हजार मेगावाट की ऐसी परियोजनाएं हैं जो आधी अधूरी हैं और इन्हें बैंकों से कर्ज भी नहीं मिल पा रहा है। नई नीति में इन परियोजनाओं ने जितनी फीसद बिजली की खरीद के लिए खरीददारों के साथ समझौता किया होगा उसके मुताबिक उन्हें बैंक गारंटी देने की व्यवस्था होगी। अब नई नीति इन्हें नए सिरे से कर्ज दिलाने की राह आसान कर देगी। साथ ही इन पर बकाये 1.5 लाख करोड़ रुपये कर्ज की वसूली भी संभव हो सकेगी।

यह पॉलिसी दो दर्जन बिजली परियोजनाओं को सरकार की तरफ से 10 हजार करोड़ रुपये का फायदा देने का रास्ता भी साफ करेगा। सूत्रों का कहना है कि वित्तीय बोझ कम होने की वजह से इन परियोजनाओं में बनने वाली बिजली की लागत भी घटेगी जिसका फायदा आम जनता को सस्ती बिजली के तौर पर मिलेगा।

सनद रहे कि मौजूदा नीति के तहत 1000 मेगावाट की ताप बिजली परियोजनाओं को मेगा पावर प्रोजेक्ट माना जाता है। पूर्व सरकार की कई गलतियों की वजह से 24 परियोजनाओं का काम काज ठप है। इन्हें कई तरह के शुल्कों में छूट देने के बावजूद बिजली खरीद समझौता नहीं होने की वजह से इनका भविष्य अंधकार में था। अब इन परियोजनाओं के दिन फिर बहुरेंगे।

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