कैशलेस सोसाइटी की तरफ बढ़ने को अगले कदम की तैयारी
सूत्रों का कहना है कि कार्ड के इस्तेमाल के बाद उसके भुगतान पर लगने वाली ब्याज की ऊंची दरों को नीचे लाने पर भी बातचीत काफी हद तक अपने अंतिम दौर में पहुंच गई है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कैशलेस सोसाइटी की तरफ बढ़ने की दिशा में सरकार ने कदम तेज कर दिए हैं। सरकारी कामकाज में क्रेडिट कार्ड पर ट्रांजैक्शन शुल्क हटाने के बाद अब जल्द ही दुकानों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में लगने वाले ट्रांजैक्शन शुल्क में कमी पर फैसला होने की संभावना है। साथ ही क्रेडिट कार्ड के भुगतान पर ब्याज की दर में भी कमी पर बातचीत अपने अंतिम चरण में है।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक दुकानदारों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में क्रेडिट कार्ड से खरीदारी पर ट्रांजैक्शन शुल्क को कम करने पर बातचीत चल रही है। जल्दी ही इस संबंध में सहमति बन जाएगी। सूत्र बताते हैं कि इस संबंध में पिछले साल से ही प्रयास किए जा रहे हैं। कई व्यापारिक संगठनों और बाजार संघों से बातचीत के बाद क्रेडिट कार्ड पर ट्रांजैक्शन शुल्क घटाने को लेकर सहमति बनी है। इस बातचीत में रिजर्व बैंक और कार्ड जारी करने वाले बैंकों की हिस्सेदारी भी रही है। रिजर्व बैंक से इस संदर्भ में दिशानिर्देश भी तैयार करने को कहा गया था। देश में लगभग छह करोड़ छोटे-बड़े दुकानदार हैं। इनमें 95 फीसद अभी भी सिर्फ नकदी में लेन देन करते हैं। कैशलेस सोसायटी बनाने के लिए सबसे पहले इन्हें विश्वास में लेना होगा।
सूत्रों का कहना है कि कार्ड के इस्तेमाल के बाद उसके भुगतान पर लगने वाली ब्याज की ऊंची दरों को नीचे लाने पर भी बातचीत काफी हद तक अपने अंतिम दौर में पहुंच गई है। भारत में अभी भी औसतन 25 से 30 फीसद का ब्याज क्रेडिट कार्ड कंपनियां वसूलती है। जबकि अमेरिका व यूरोपीय देशों में यह महज आठ से 10 फीसद है।
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में देश को कैशलेस सोसाइटी बनाने की सरकार की मंशा की तरफ इशारा किया था। उनके मुताबिक आम जनता को आने वाले दिनों नकदी, क्रेडिट या डेबिट कार्ड ले जाने की कहीं जरुरत ही न पड़े। सरकार की कोशिश है कि जनता को पांच-दस रुपये की खरीदारी भी बिना नकदी के हस्तांतरण के कर सके। यही वजह है कि पीएम ने कहा है कि, 'जेब में रुपये रखने, निकाल कर गिनने की जरुरत भी नहीं है। साथ ले कर घूमने की भी जरुरत नहीं है।' पीएम मोदी ने कहा था कि देश को कैशलेस सोसायटी (ऐसा समाज जहां लेन-देन में नकदी की जरुरत बहुत कम हो) बनाने की दिशा में दो बड़े स्तरों पर का कर रही है।
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