राष्ट्रपति चुनाव: नाम बताए बिना आम सहमति की कवायद में सरकार
आजाद ने कहा कि आम सहमति की पहल तो ठीक है मगर जब उम्मीदवार का नाम ही नहीं बताया जाएगा तो फिर इसका औचित्य ही क्या है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। राष्ट्रपति चुनाव की उम्मीदवारी पर सरकार और विपक्ष के बीच हुई पहली सीधी बातचीत के साथ ही राजनीतिक दांव-पेंच चरम पर पहुंच गया है। सरकार ने अपना दांव चलते हुए अपने उम्मीदवार का नाम बताए बिना ही विपक्ष से समर्थन मांगा। तो विपक्ष ने भी सत्ता पक्ष की चतुराई को भांपते हुए साफ कहा कि सरकार की ओर से राष्ट्रपति उम्मीदवार का नाम आने के बाद ही आम सहमति की गुंजाइश पर बात होगी। सरकार और विपक्ष के बीच अपने-अपने सियासी पत्ते पहले नहीं खोलने की रणनीति की वजह से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और माकपा नेता सीताराम येचुरी के साथ गृहमंत्री राजनाथ सिंह व सूचना प्रसारण मंत्री वेंकैया नायडू की बैठक का कोई नतीजा नहीं निकला।
राष्ट्रपति उम्मीदवारी पर सरकार और विपक्ष के बीच जारी घनघोर सियासत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता कि राजनाथ-वेंकैया ने सोनिया गांधी से शुक्रवार को हुई अपनी मुलाकात के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष से ही उम्मीदवारी पर अपनी पसंद बताने को कहा। सोनिया के साथ इस बैठक में मौजूद राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद ने राजनाथ-वेंकैया से हुई चर्चा के बाद कहा भी कि सरकार ने अपनी तरफ से राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए कोई नाम नहीं बताया और उल्टे हमसे ही नाम पूछा। आजाद ने कहा कि आम सहमति की पहल तो ठीक है मगर जब उम्मीदवार का नाम ही नहीं बताया जाएगा तो फिर इसका औचित्य ही क्या है।
दस जनपथ पर सोनिया गांधी के साथ राजनाथ और वेंकैया की आधे घंटे से अधिक चली बैठक में सरकार ने एक प्रत्याशी का नाम तो दूर संभावित उम्मीदवारों के पैनल पर भी कोई चर्चा नहीं की। आजाद ने कहा कि हम उम्मीद कर रहे थे कि सरकार की ओर से कोई एक या दो नाम सुझाए जाएंगे मगर ऐसा नहीं हुआ। आजाद के साथ कांग्रेस की ओर से इस बैठक में मौजूद मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि जब उम्मीदवार का नाम ही नहीं सरकार ने जाहिर किया है तो फिर समर्थन और आम सहमति का सवाल कहां आता है। इन दोनों नेताओं ने साफ किया कि सत्ता पक्ष का उम्मीदवार सामने आने के बाद ही आम सहमति पर कोई बात होगी।
सोनिया से मिलने के बाद राजनाथ-वेंकैया की सरकार की टीम ने माकपा महासचिव सीताराम येचुरी से उनके पार्टी मुख्यालय में जाकर मुलाकात की। येचुरी को भी इन दोनों ने उम्मीदवार का नाम नहीं बताया। बैठक के बाद येचुरी ने कहा कि सरकार की यह पहल केवल पीआर एक्सरसाइज है। वामपंथी नेता ने भाजपा की टीम को साफ कर दिया कि बेदाग सेक्यूलर छवि के व्यक्ति को ही राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया जाना चाहिए।
राजनाथ-वैंकया की बात से हैरत में सोनिया
राष्ट्रपति उम्मीदवारी पर कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों की निगाहें राजनाथ-वेंकैया की सोनिया गांधी की मुलाकात पर थीं। पार्टी के विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि जाहिर तौर पर सोनिया गांधी भी सरकार के दो वरिष्ठ मंत्रियों की ओर से संभावित नाम बताए जाने की उम्मीद कर रही थीं। मगर चाय-पान के बीच जब औपचारिक बात शुरू हुई तो राजनाथ-वेंकैया ने सोनिया से आम सहमति बनाने के लिए कहा।
सोनिया ने इस पर सभी विपक्षी दलों की बैठक में आम सहमति के प्रस्ताव का उल्लेख किया और कहा कि सरकार नाम बताएगी तो वे अन्य सहयोगी दलों से चर्चा करेंगी। इस पर वेंकैया ने सोनिया से ही पूछ डाला कि आप बताइए कि किसे उम्मीदवार बनाया जाए? सुवाल सुनकर हैरत में पड़ी सोनिया ने बैठक में मौजूद गुलाम नबी आजाद और खड़गे की ओर देखा और फिर कहा कि सरकार पहले उम्मीदवार का नाम बताये। तभी वे विपक्ष के बाकी दलों से मशविरा करेंगी। इस पर राजनाथ-वेंकैया ने कहा कि अभी सरकार ने ही उम्मीदवार तय नहीं किया और उम्मीदवारी पर फैसला होते ही वे दुबारा उनसे संपर्क करेंगे।
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