सरकार अतिरिक्त जज के मूल्यांकन पर कोलेजियम के फैसले के खिलाफ
न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच एक फिर टकराव की आशंका। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के शीर्ष पांच जजों के कोलेजियम से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा।
नई दिल्ली, पीटीआई। सरकार ने हाई कोर्ट के स्थायी जज के तौर पर प्रोन्नति के लिए अतिरिक्त जज के पेशेवर मूल्यांकन को खत्म करने के कोलेजियम के फैसले का विरोध किया है। सरकार के इस फैसले से न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच एक बार फिर टकराव उत्पन्न हो सकता है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार ने कोलेजियम को बता दिया है कि वह इस व्यवस्था को खत्म करने से सहमत नहीं है। हाल तक अतिरिक्त जजों के न्यायिक कामकाज के प्रदर्शन का मूल्यांकन समितियां किया करती थीं। सरकार ने मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट के शीर्ष पांच जजों के कोलेजियम से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा है।
बता दें कि इस साल मार्च में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर ने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों को सूचित किया था कि कोलेजियम ने इस व्यवस्था को खत्म करने का फैसला लिया है। इसके लिए उन्होंने शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला देकर कहा कि अतिरिक्त जजों के न्यायिक कार्य प्रदर्शन का मूल्यांकन आदेश के विपरीत है। खेहर ने कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को भी इस व्यवस्था को खत्म करने के फैसले की सूचना दी थी।
अतिरिक्त जजों का मूल्यांकन अक्टूबर 2010 में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एसएच कपाडि़या द्वारा जारी दिशानिर्देश का हिस्सा है।
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