Move to Jagran APP

चुनाव पर सरकार की नजर: ओबीसी कोटे के भीतर कोटे की तैयारी

केंद्रीय कैबिनेट ने ओबीसी की केंद्रीय सूची के वर्गीकरण के लिए आयोग बनाने के फैसले को मंजूरी दे दी।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Thu, 24 Aug 2017 06:59 AM (IST)Updated: Thu, 24 Aug 2017 06:59 AM (IST)
चुनाव पर सरकार की नजर: ओबीसी कोटे के भीतर कोटे की तैयारी
चुनाव पर सरकार की नजर: ओबीसी कोटे के भीतर कोटे की तैयारी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिए जाने के प्रयास में विपक्ष ने रोड़ा अटकाया तो सरकार ने ओबीसी की विभिन्न वंचित जातियों में पैठ बनाने का रास्ता बना लिया। केंद्रीय कैबिनेट ने ओबीसी की केंद्रीय सूची के वर्गीकरण के लिए आयोग बनाने के फैसले को मंजूरी दे दी। यानी इस वर्ग में भी पिछड़ेपन की सीमा को देखते हुए उन्हें आरक्षण का हक दिया जाएगा। एक तरह से यह कोटा के अंदर कोटा होगा। वहीं ओबीसी में क्रीमी लेयर की आय सीमा को छह लाख से बढ़ाकर आठ लाख रुपये करने का फैसला भी लिया गया है।

loksabha election banner

-वर्गीकरण के लिए आयोग के गठन को मंजूरी 
-क्रीमी लेयर आय की सीमा छह से बढ़ाकर आठ लाख की गई

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि एक आयोग बनाने का फैसला लिया गया है जो ओबीसी के वर्गीकरण पर विचार करेगा। अध्यक्ष की नियुक्ति के 12 हफ्ते के भीतर यह अपनी रिपोर्ट भी देगा। इसे तीन बिंदुओं पर फैसला करना है। यह देखना है कि ओबीसी के अंदर केंद्रीय सूची में शामिल जातियों को क्या उनकी संख्या के अनुरूप सही अनुपात में आरक्षण का लाभ मिल रहा है। अगर नहीं तो इनका कैसा वर्गीकरण किया जा सकता है। आयोग इसके मापदंडों पर भी विचार करेगा।

 ध्यान रहे कि पिछड़ा वर्ग आयोग ने तीन वर्गों में वर्गीकरण का सुझाव दिया था। ऐसा वर्ग जो पिछड़ा है। दूसरा वर्ग जो ज्यादा पिछड़ा है और तीसरा जो अतिपिछड़ा है। भावी आयोग उन जातियों की संख्या और पिछड़ेपन को ध्यान में रखकर नई सूची तैयार करेगा। ध्यान रहे कि आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, झारखंड समेत दस राज्यों में पहले ही ऐसी व्यवस्था है। अब केंद्रीय सूची में यह होगा।
यह फैसला भले ही सामाजिक समानता के मुद्दे से जुड़़ा है लेकिन इसका राजनीतिक संदर्भ काफी बड़ा है। दरअसल पिछले चुनावों में भी ऐसे ओबीसी वर्ग का भाजपा के प्रति झुकाव रहा था जो बहुत प्रभावी नहीं है। इनकी बड़ी संख्या है और केंद्र एवं राज्यों की सूची को मिलाया जाए तो ऐसी जातियां सैकड़ों में हैं। बिहार और उत्तर प्रदेश में जो प्रभावी ओबीसी वर्ग है और जो आरक्षण के 27 फीसद कोटा का अधिकांश हिस्से पर काबिज होते हैं, उनके स्थानीय नेता भी क्षेत्रीय दलों में हैं। भाजपा की ओर से पहले ही संकेत दिया गया था कि वह यह सुनिश्चित करेगी कि आरक्षण का लाभ सभी जातियों तक पहुंचे। इसे आगामी चुनावों की तैयारियों के रूप में भी देखा जा रहा है। क्रीमी लेयर की आय सीमा पहले ही बढ़ाकर उन्हें राहत दी जा चुकी है।

आरक्षण पर पुनर्विचार नहीं
जेटली ने देश में आरक्षण प्रणाली पर पुनर्विचार से इन्कार किया। उन्होंने कहा कि इस संबंध में सरकार के पास न तो कोई प्रस्ताव है और न ही भविष्य में ऐसा प्रस्ताव होगा। उन्होंने ओबीसी की तरह अनुसूचित जाति में भी वर्गीकरण किए जाने से इन्कार किया।
मानसून सत्र में सरकार पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के लिए संविधान संशोधन लाई थी। लोकसभा से उसे पारित भी कर दिया गया लेकिन राज्यसभा में विपक्ष ने धर्म के आधार पर सदस्यों की नियुक्ति का संशोधन लाकर उसे अटका दिया। अब सरकार को फिर से कवायद करनी होगी। इस बीच वर्गीकरण के फैसले पर मुहर ने ओबीसी को केंद्र सरकार के रुख का संकेत दे दिया है।

यह भी पढें: प्रभु पर फैसला कैबिनेट विस्तार के वक्त लेंगे पीएम, रेल दुर्घटनाओं से मोदी नाराज


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.