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सरकार ने किया अल्पसंख्यक कोटे का बचाव

केंद्र सरकार ने लोकपाल विधेयक में अल्पसंख्यक कोटा शामिल किए जाने के अपने फैसले का बचाव करते हुए मंगलवार को आश्वासन दिया कि विपक्षी पार्टियों के प्रस्तावित संशोधनों को ध्यान में रखते हुए भ्रष्टाचार विरोधी विधेयक पारित कराया जाएगा। लोकसभा में विधेयक पर चर्चा शुरू होने से पहले कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री वी. नारायणसामी ने कहा कि अल्पसंख्यकों को समाज में शामिल करने के लिए उनके आरक्षण का निर्णय सोच-समझकर लिया गया है।

By Edited By: Published: Tue, 27 Dec 2011 02:38 PM (IST)Updated: Tue, 27 Dec 2011 02:53 PM (IST)
सरकार ने किया अल्पसंख्यक कोटे का बचाव

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने लोकपाल विधेयक में अल्पसंख्यक कोटा शामिल किए जाने के अपने फैसले का बचाव करते हुए मंगलवार को आश्वासन दिया कि विपक्षी पार्टियों के प्रस्तावित संशोधनों को ध्यान में रखते हुए भ्रष्टाचार विरोधी विधेयक पारित कराया जाएगा।

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लोकसभा में विधेयक पर चर्चा शुरू होने से पहले कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री वी. नारायणसामी ने कहा कि अल्पसंख्यकों को समाज में शामिल करने के लिए उनके आरक्षण का निर्णय सोच-समझकर लिया गया है।

नारायणसामी ने एक टीवी चैनल से कहा कि संसद वैधता पर चर्चा करने का स्थान नहीं है। यह लोगों की आकांक्षाओं को आगे ले जाने का स्थान है।

उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक भी इस देश के नागरिक है, उन्हे भी प्रतिनिधित्व की आवश्यकता है। सरकार ने अपनी बुद्धि से अल्पसंख्यकों को शामिल करने का निर्णय लिया, क्योंकि संसद को यह सुनिश्चित करना पड़ता है कि समाज के सभी वर्गो को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिले। उन्होंने कहा कि इसलिए सरकार ने अल्पसंख्यकों को शामिल करने का सचेत निर्णय लिया।

लोकपाल में अल्पसंख्यक कोटा शामिल किए जाने के मुद्दे पर सरकार व मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी एक-दूसरे के खिलाफ है। भाजपा इसके खिलाफ एक संशोधन लाने के लिए तैयार है।

नारायणसामी ने कहा कि विधेयक को पारित करने के लिए संसद को कुछ अतिरिक्त घंटों के लिए काम करना होगा लेकिन यह सदस्यों के अनुरोध पर निर्भर करता है।

इस बीच संसदीय मामलों के राज्य मंत्री राजीव शुक्ला ने कहा है कि सरकार विधेयक को पारिए कराए जाने को लेकर आशावादी है। शुक्ला ने कहा कि हम आशावादी हैं। कुछ संशोधन हो सकते है, हम उन पर विचार करेगे।

उन्होंने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे व उनके सहयोगियों पर हमला करते हुए कहा कि कई सालों के बाद यह विधेयक लाया गया है। वे इसका स्वागत करने की बजाए इसकी आलोचना क्यों कर रहे है। उन्होंने इस बात से इंकार किया कि आंदोलनकारियों के विरोध-प्रदर्शन के चलते संसद किसी तरह के दबाव में है।

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