जम्मू-कश्मीर में बातचीत शुरू करेगी सरकार: राजनाथ सिंह
राजनाथ सिंह ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में निरंतर वार्ता करने का फैसला किया है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। जम्मू-कश्मीर में स्थायी शांति की तलाश में बातचीत का सिलसिला एक बार फिर शुरू होने जा रहा है। मोदी सरकार ने राज्य के सभी पक्षों से बातचीत शुरू करने के लिए खुफिया ब्यूरो के पूर्व प्रमुख दिनेश्वर शर्मा को अपना प्रतिनिधि बनाया है।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अलगाववादी हुर्रियत नेताओं से बातचीत पर फैसला खुद दिनेश्वर शर्मा करेंगे। गौरतलब है कि 15 अगस्त को लाल किले से अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि कश्मीर समस्या का समाधान न तो गोली से और न ही गाली से निकलेगा, बल्कि यह केवल कश्मीरियों को गले लगाने से ही निकलेगा। कश्मीर को लेकर सरकार का नया फैसला काफी अहम है। खासतौर पर तब जबकि इससे भी इनकार नहीं किया जा रहा है कि अलगाववादी इससे बाहर रखे जाएंगे।
स्थायी समाधान की तलाश में पहले चरण में सख्ती से साथ उन आवाजों को बहुत हद तक कुचला जा चुका है जो आतंक में विश्वास रखते थे। अब बातचीत के जरिए ऐसा माहौल बनाने की कोशिश होगी जिसमें विकास का धारा तेज हो सके। गृहमंत्री ने कहा कि दिनेश्वर शर्मा जम्मू, कश्मीर और लद्दाख तीनों इलाकों के प्रतिनिधियों से बातचीत कर उनकी अपेक्षाओं को समझने की कोशिश करेंगे। खासतौर पर राज्य के युवाओं को बातचीत में ज्यादा तरजीह जाएगी। बातचीत में हुर्रियत नेताओं को शामिल किये जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इसे दिनेश्वर शर्मा पर छोड़ दिया गया है। उनके अनुसार दिनेश्वर शर्मा खुद तय करेंगे कि घाटी में स्थायी शांति के लिए किन-किन लोगों से बातचीत की जानी चाहिए।
केंद्र सरकार इसके पहले भी घाटी में बातचीत के सहारे स्थायी शांति तलाशने की कोशिश कर चुकी है। लेकिन इस बार स्थिति पहले की तुलना में अलग है। 2010 में मनमोहन सिंह सरकार ने दिलीप पडगांवकर, राधा कुमार और एमएम अंसारी को वार्ताकार नियुक्त किया था। लेकिन उस समय वहां हिंसक प्रदर्शन चरम पर था, जो थमने का नाम नहीं ले रहा था। बातचीत का सिलसिला शुरू करने का केंद्र सरकार का उद्देश्य समस्या के स्थायी समाधान ढूंढने के बजाय हिंसक प्रदर्शनों को रोकने का ज्यादा था। पर इस बार घाटी में अलगाववादी और आतंकी बैकफुट पर हैं।
एनआइए की जांच कर रहे अलगाववादी नेता जनता के बीच अपनी साख बचाने की जद्दोजहद कर रहे हैं। वहीं अधिकांश बड़े आतंकियों को मार गिराने के बाद सुरक्षा बल उनका मनोबल तोड़ने में सफल रही है। जबकि सीमा पार से आतंकी घुसपैठ पर काफी हद तक अंकुश लग चुका है। जम्मू-कश्मीर के डीजीपी एसपी वैद्य ने पिछले दिनों कहा था कि सुरक्षा बलों ने अपना काम कर दिया है, अब सरकार को आम जनता तक पहुंचकर उनसे बातचीत का सिलसिला शुरू करना चाहिए। सरकार की बातचीत बहाली की गंभीरता को इस बात से समझा जा सकता है कि दिनेश्वर शर्मा को कैबिनेट सचिव के पद का दर्जा दिया गया है। यही नहीं, सरकार ने बातचीत के लिए कोई समय सीमा भी निश्चित नहीं की है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि सभी पक्षों से बातचीत पूरी करने के बाद दिनेश्वर शर्मा केंद्र और राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट देंगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि दिनेश्वर शर्मा की रिपोर्ट के आधार पर घाटी में स्थायी शांति का मार्ग प्रशस्त होगा। इसके पहले के वार्ताकारों की रिपोर्ट पर अमल नहीं होने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि कोई जरूरी नहीं है कि जो पहले नहीं हुआ वह आगे भी नहीं होगा। सरकार ने इसी साल दिनेश्वर शर्मा को असम में उल्फा समेत अन्य अलगाववादी संगठनों से बातचीत के लिए केंद्र का वार्ताकार नियुक्त किया था। राजनाथ सिंह ने कहा कि असम में किसी और वार्ताकार की नियुक्ति जल्द ही की जाएगी।
वहीं दिनेश्वर शर्मा ने कहा कि यह एक बड़ी जिम्मेदारी है। आशा है मैं उम्मीदों पर खरा उतरुंगा।
It's a big responsibility, hope I live up to expectations: Dineshwar Sharma to ANI on appointment as GoI representative for dialogue in J&K
— ANI (@ANI) October 23, 2017
महबूबा मुफ्ती ने किया स्वागत
राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा 'जम्मू-कश्मीर में बातचीत के लिए सरकार की पहल का स्वागत करती हूं। वार्ता समय की आवश्यकता है और आगे बढ़ने का एक मात्र तरीका।' महबूबा ने कहा कि यह पहल पीएम मोदी के वाक्य के अनुरूप है जिसमें उन्होंने कहा था कि 'ना गोली से ना गाली से, कश्मीर की समस्या सुलझेगी गले लगाने से।
Welcome the initiative of Union Government, appointing an interlocutor for leading a sustained dialogue with stakeholders in Jammu & Kashmir.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) October 23, 2017
Dialogue is a necessity of the hour and the only way to go forward.— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) October 23, 2017
This dialogue initiative is in line with P.M @narendramodi ‘s 15th August speech ‘na goli se, na gaali se, Kashmir ki samasya suljhegi gale lagaane se’.— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) October 23, 2017
कौन हैं दिनेश्वर शर्मा
मूल रूप से बिहार के रहने वाले 1979 बैच के केरल कैडर के आइपीएस अधिकारी दिनेश्वर शर्मा 2014 में आइबी के निदेशक बने थे और 31 दिसंबर को सेवानिवृत हुए थे। आइबी में रहते हुए जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ काम करने का उनका लंबा अनुभव है। आइबी प्रमुख के रूप में उनके कार्यकाल में ही देश से इंडियन मुजाहिद्दीन को पूरी तरह खत्म करने में सफलता मिली थी। इसके साथ ही आइएसआइएस अपने चरम उभार के दौरान भी भारत में पांव नहीं जमा पाया था।
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