डांडिया बनाकर भरते हैं पेट गोधरा के मुस्लिम!
वर्ष 2002 में गुजरात दंगों का केन्द्र बना गोधरा शहर सद्भाव की अनूठी मिसाल पेश कर रहा है। शहर के मुस्लिम देश में नवरात्र पर्व के दौरान होने वाले गरबा के डांडिया बनाकर अपना पेट पालते हैं। यहां के डांडिया विशेष साज-सज्जा से युक्त और आकर्षक होते हैं। शहर के कई मुस्लिम परिवार नवरात्र उत्सव शुरू होने के चार-पांच माह पूर्व ही
वड़ोदरा। वर्ष 2002 में गुजरात दंगों का केन्द्र बना गोधरा शहर सद्भाव की अनूठी मिसाल पेश कर रहा है। शहर के मुस्लिम देश में नवरात्र पर्व के दौरान होने वाले गरबा के डांडिया बनाकर अपना पेट पालते हैं। यहां के डांडिया विशेष साज-सज्जा से युक्त और आकर्षक होते हैं।
शहर के कई मुस्लिम परिवार नवरात्र उत्सव शुरू होने के चार-पांच माह पूर्व ही डांडिया बनाने का काम शुरू कर देते हैं। करीब 18 इंच की डांडिया लकड़ियां आम या बबूल की लकड़ियों से बनाई जाती है। गोधरा में एक डांडिया तैयार करने वाली इकाई के रफीकभाई अब्दुल्लाभाई मेंडा ने बताया कि लकड़ियों को सही आकार में काटने के बाद उन पर आकर्षक सजावट की जाती है और छोटे-छोटे घुंघरू उनमें लगाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि डांडिया की पेंटिंग और सजावट के काम को खारादिकाम कहा जाता है। इसमें शहर के 500 मुस्लिम परिवार जुड़े हैं। पूरे गुजरात के अलावा देश के अन्य भागों में भी गोधरा के डांडिए रास और गरबा के लिए भेजे जाते हैं। मुस्लिम हिन्दुओं के इस बड़े पर्व में डांडिया तैयार कर सहभागी बनने से खुश हैं।
300 इकाइयों में बनते हैं
गोधरा में डांडिया बनाने में करीब 300 इकाइयां लगी हैं। ये मुख्य रूप से पोलन बाजार, सुल्तानपुरा, माधु लोट, बिंदिया प्लॉट, अहमदनगर, मुहामंडी मोहल्ला, भूरा मोहल्ला और छाकलियानीवाड़ी में डांडिया निर्माण होता है। ये सभी लघु उद्योग इकाइयां मुख्य रूप से मुस्लिमों द्वारा ही चलाई जा रही हैं। यहां से महाराष्ट्र, राजस्थान, मप्र, उप्र और पश्चिम बंगाल तक डांडिया का व्यापार किया जाता है। बडे़ व्यापारी यहां से उचित दाम में डांडिया खरीदकर ले जाते हैं। इस तरह शहर के 300 परिवारों की अच्छी आजीविका चल जाती है।
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