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सुरक्षा इंतजामों पर सियासत का चश्मा

नई दिल्ली [प्रणय उपाध्याय]। बिहार में सिलसिलेवार बम धमाके की घटना। राज्य सरकार का किसी चूक से इन्कार। खुफिया एजेंसियों के अलर्ट की अनदेखी पर उठे सवाल और धमाकों के पीछे सियासी मुनाफे के तार देखने की कोशिश। यहां बात पटना में रविवार को हुए बम धमाकों की नहीं बल्कि महज साढ़े तीन माह पहले बोधगया में हुए विस्फोटों की हो रही है।

By Edited By: Published: Mon, 28 Oct 2013 10:36 PM (IST)Updated: Mon, 28 Oct 2013 11:24 PM (IST)
सुरक्षा इंतजामों पर सियासत का चश्मा

नई दिल्ली [प्रणय उपाध्याय]। बिहार में सिलसिलेवार बम धमाके की घटना। राज्य सरकार का किसी चूक से इन्कार। खुफिया एजेंसियों के अलर्ट की अनदेखी पर उठे सवाल और धमाकों के पीछे सियासी मुनाफे के तार देखने की कोशिश। यहां बात पटना में रविवार को हुए बम धमाकों की नहीं बल्कि महज साढ़े तीन माह पहले बोधगया में हुए विस्फोटों की हो रही है। दोनों घटनाओं के बीच भले ही स्थान और समय का अंतर हो लेकिन सियासी खेमों की प्रतिक्रिया में एक सी है। ऐसे में यह सवाल लाजिमी है कि कहीं सियासत सुरक्षा इंतजामों पर भारी तो नहीं पड़ रही?

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बिहार में चार महीने से भी कम में अब तक की दो सबसे बड़ी आतंकी वारदातों का होना जहां सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है वहीं इन्हें लेकर जारी सियासत चिंता के सबब और बढ़ाती है। कांग्रेस के मुखर नेता दिग्विजय सिंह ने गत सात जुलाई को बोधगया में हुए दस बम धमाकों को लेकर ट्विटर पर दी प्रतिक्रिया में घटना की निंदा करते हुए नरेंद्र मोदी के प्रचार अभियान की ओर इशारा करते हुए सवाल उठाए थे। सिंह ने सोशल मीडिया साइट पर आठ जुलाई को किए ट्वीट में छह जुलाई को बिहार भाजपा कार्यकर्ताओं को टेलीकांफ्रेंस संबोधन और धमाकों के बीच किसी संबंध पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। एनआइए की जांच पूरी होने तक इंतजार किया जाना चाहिए।

पटना में भाजपा के प्रधानमंत्री पद उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की सभा से पहले हुए सात धमाकों के बाद भी सिंह ने घटना की निंदा की और साथ ही मोदी की ओर इशारा भी। दिग्विजय के मुताबिक नीतीश कुमार को घटना की मुकम्मल जांच करना चाहिए वरना यह मोदी की बिहार में लांचिग के लिए परफेक्ट सेटिंग होगी।

बोधगया और पटना दोनों ही वारदातों से पहले केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के अलर्ट की बात भी सामने आई और वारदात के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से किसी सूरक्षा चूक से इन्कार भी। ऐसे में सूबे की सरकार और केंद्रीय एजेंसियों के लिए हालात को संभालने की चुनौती अभी बरकरार है।

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