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आतंकी मसूद अजहर पर बोला चीन, UN में भारत के समर्थन के लिए हमें चाहिए ठोस सबूत

पाकिस्‍तान में मौजूद आतंकी मसूद अजहर के मुद्दे पर भारत का समर्थन करने के लिए चीन ने पुख्‍ता सबूत मांगे हैं। उसका कहना है कि भारत में इस मसले पर उन्‍हें ठोस सबूत दे।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sat, 18 Feb 2017 08:44 AM (IST)Updated: Sat, 18 Feb 2017 09:15 AM (IST)
आतंकी मसूद अजहर पर बोला चीन, UN में भारत के समर्थन के लिए हमें चाहिए ठोस सबूत
आतंकी मसूद अजहर पर बोला चीन, UN में भारत के समर्थन के लिए हमें चाहिए ठोस सबूत

नई दिल्ली/बीजिंग (पीटीआई)। भारत के साथ रणनीतिक वार्ता से पूर्व चीन ने कहा है कि जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध का समर्थन करने के लिए 'ठोस सुबूतों' की जरूरत है।चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गैंग हुआंग ने शुक्रवार को बताया कि भारतीय विदेश सचिव एस. जयशंकर और चीन के कार्यकारी विदेश उपमंत्री झांग येसुई के बीच 22 फरवरी को बीजिंग में नए दौर की रणनीतिक वार्ता होनी है।

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दोनों पक्ष इस दौरान अंतरराष्ट्रीय हालात और पारस्परिक हितों के क्षेत्रीय व वैश्विक मुद्दों पर गहराई से विचार-विमर्श करेंगे। परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के प्रवेश और मसूद अजहर मामले समेत द्विपक्षीय संबंधों में तनाव के बिंदुओं पर टिप्पणी करते हुए हुआंग ने कहा, 'मतभेद सिर्फ स्वाभाविक हैं।' उन्होंने कहा, 'सभी तरह की बातचीत और विचार-विमर्श के जरिये दोनों पक्ष संवाद बढ़ाकर मतभेद कम कर सकते हैं और सहयोग के लक्ष्य को हासिल करने के लिए नई सहमति बना सकते हैं।

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'मसूद अजहर मसले पर उन्होंने कहा, 'हमारा एक ही मापदंड है, हमें ठोस सुबूत चाहिए। अगर ठोस सुबूत हैं तो आवेदन को मंजूरी दी जा सकती है। अगर कोई ठोस सुबूत नहीं है तो आम सहमति बनना मुश्किल है।' इस मामले में भारत के आवेदन पर पिछले साल चीन ने दो बार तकनीकि आधार पर रोड़ा अटकाया था। जबकि, इस साल अजहर पर प्रतिबंध लगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका ने प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन, चीन ने इस बार भी तकनीकि आधार पर ही इसे रोक दिया।

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एनएसजी में भारत के प्रवेश के मसले पर उन्होंने कहा, 'हम पहले भी कई बार कह चुके हैं कि यह बहुपक्षीय मसला है। हम अपने द्विस्तरीय दृष्टिकोण पर कायम हैं, पहला यह कि एनएसजी सदस्यों को गैर -एनपीटी देशों के प्रवेश के लिए नियमों का खाका तय करना होगा। दूसरा, विशेष मामलों के लिए वार्ता को आगे बढ़ाना होगा। हमारा रुख इस पर एक समान रहा है। भारत के अलावा अन्य गैर-एनपीटी देश भी आवेदन कर रहे हैं। उन देशों के आवेदनों पर भी हमारा रुख वैसा ही है।' उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत इन दोनों मुद्दों पर चीन के रवैये और स्थिति को समझ सकेगा।

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