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दहेज के कारण लड़कियों को भारत में समझा जाता है बोझ

भारत में माता-पिता अपनी लड़कियों के लिए योग्य वर ढूंढ़ने में खुद को अक्षम पाते हैं और शादी के समय उन पर भारी-भरकम दहेज देने का समाज का दबाव भी होता है। इन सब वजहों से भारत में बच्चियों को बोझ समझा जाता है। संयुक्त राष्ट्र की मंगलवार को जारी हुई रिपोर्ट में यह बात कही गई। रिपोर्ट के अनुसार,'

By Edited By: Published: Wed, 23 Jul 2014 02:15 AM (IST)Updated: Wed, 23 Jul 2014 02:15 AM (IST)
दहेज के कारण लड़कियों को भारत में समझा जाता है बोझ

नई दिल्ली। भारत में माता-पिता अपनी लड़कियों के लिए योग्य वर ढूंढ़ने में खुद को अक्षम पाते हैं और शादी के समय उन पर भारी-भरकम दहेज देने का समाज का दबाव भी होता है। इन सब वजहों से भारत में बच्चियों को बोझ समझा जाता है। संयुक्त राष्ट्र की मंगलवार को जारी हुई रिपोर्ट में यह बात कही गई।

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रिपोर्ट के अनुसार,'वर्तमान सामाजिक प्रक्रियाओं के अनापेक्षित परिणाम, माता-पिता की अपनी जवान होती बच्चियों के प्रति चिंता, अत्यधिक प्रतिस्पर्धा वाला शादी का बाजार, ये तीनों जब एक साथ मिलते हैं तो बच्चियों को जन्म से ही परिवार के लिए बोझ समझ लिया जाता है। दूसरी तरफ लड़कों को परिवार में कई धार्मिक व आर्थिक जिम्मेदारियां निभाने वाला माना जाता है। उन पर कुनबे को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी भी होती है। यही सब चीजें भारत के घटते बाल लिंग अनुपात की असल वजह हैं। रिपोर्ट में भारत में तेजी से घटते बाल लिंग अनुपात के विभिन्न कारणों की पड़ताल की गई है।

रिपोर्ट में कहा गया कि तेज आर्थिक विकास वाले समय में भारत में सबसे तेज गति से लिंग अनुपात में कमी आई है। इसकी शुरुआत उत्तरी व उत्तर पश्चिम भारत से हुई। रिपोर्ट में समाजशास्त्र की प्रोफेसर तुलसी पटेल द्वारा दिल्ली व पंजाब के शहरी इलाकों में किए गए विश्लेषण के बिंदुओं को भी शामिल किया गया। अध्ययन में कहा गया है कि माता-पिता लड़कियों के खिलाफ नहीं तो होते, लेकिन उनकी ख्वाहिश दो बच्चों की होती है, जिनमें से एक लड़का हो।

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