... और बस इतनी मेहरबानी करना, ये संदेशा मेरे पति को दे देना
उसकी मौत और जिंदगी के बीच फासला कम हो चुका था। मरने से पहले उसने कहा कि जिसे भी उसका खत मिले वो उसके पति तक खत पहुंचा दे।
वाशिंगटन। जेराल्डी लार्गे को ये पता था कि उसकी जिंदगी और मौत के बीच का फासला तेजी से कम होता जा रहा है। उसे ये भी पता था कि महज कुछ दूर मौजूद अपने पति से वो कभी नहीं मिल सकेगी। करीब आ रही मौत से जूझ रही लार्गे ने एक मार्मिक खत लिखा जिसमें उसने गुजारिश कि जिसे भी ये खत जब कभी मिले मेहरबानी कर उसके पति तक पहुंचा दे।
दरअसल ये दर्दनाक दास्तां पेशे से नर्स जेराल्डी लार्गे की है। अमेरिका में अप्लेशियन की अनजानी जगहों की तलाश के लिए वो अक्सर यात्राएं किया करती थी। जुलाई 2013 में वो अप्लेशियन निशान के सहारे अपने पति के साथ एक रोमांचक यात्रा पर निकली। लेकिन उसे क्या पता था कि वो यात्रा उसकी जिंदगी का अंतिम सफर साबित होगा।
लार्गे अप्लेशियन निशान के सहारे आगे बढ़ रही थी। लेकिन वॉशरूम जाने के लिए उस रास्ते से हटी और हमेशा के लिए वो निशान दूर हो गए। उसके पास मौजूद मोबाइल में सिग्नल नहीं आ रहा था। सिग्नल की तलाश में वो अप्लेशियन के जंगलों में भटक गयी। लार्गे के पास मौजूद खाना और पानी तेजी से खत्म होता जा रहा था। लार्गे का पति अपनी एसयूवी में कार में उसका इंतजार कर रहा था। लार्गे को जब ये लगने लगा कि शायद उसकी जिंदगी का अंत आने वाला है तो उसने 6 अगस्त 2013 एक चिठ्ठी लिखी। उसने खत में लिखा कि ये उसके लिए बड़ी मेहरबानी होगी कि जिसे मेरी मृत शरीर मिले वो उसकी बेटी और पति को जानकारी मुहैया करा दे।
लार्गे बिल्कुल सही थी उसकी मौते के दो साल बाद एक शख्स उस जगह तक पहुंचा जहां उसकी मौत हुई थी। आश्चर्य की बात ये थी कि लार्गे की मौत वाली जगह से अप्लेशियन ट्रेल महज दो मील दूर था। लार्गे की मौत की विस्तृत जानकारी बुधवार को सार्वजिनक हुई । बोस्टन ग्लोब ने सबसे पहले इस स्टोरी का जिक्र किया था। रिपोर्ट के मुताबिक जहां से लार्गे गायब हुई थी वहां से महज कुछ दूर उसके पति इंतजार कर रहे थे। लार्गे को खोजने की कई दफा कोशिश की गयी। बचाव दले के लोग उसकी मरने वाली जगह से 100 मीटर करीब पहुंच कर वापस लौट जाया करते थे। रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि जिस दिन वो गायब हुई थी उससे करीब 26 दिन तक वो जिंदा थी।
लार्गे की कहानी हिचहाइकर क्रिस्टोफर कैंडलिस की तरह है जो 1996 में अलास्का ट्रेल के दौरान ऐसे ही रास्ता भटक गए थे। उनकी दास्तां पर इंटू द वाइल्ड नाम की किताब लिखी गयी थी।
जेराल्डी लार्गे के पति का कहना है कि वो बहुत बहादुर थी। वो आम लोगों की तरह सामान्य जिंदगी जीने में विश्वास नहीं करती थी। शायद अप्लेशियन ही उसके लिए सही जगह था। जॉर्ज और जेराल्डी टेनेसी में रहते थे। 2013 में उन्होंने 220 मील लंबे अप्लेशियन ट्रेल पर यात्रा करने का फैसला किया था। जेराल्डी के सहयात्रियों का कहना था कि ऐसा नहीं था वो अप्लेशियन ट्रेल के लिए नयी थी। उसकी धीमी और सतत चाल से उसे इंचवर्म के नाम से पुकारा जाता था। लेकिन शायद भगवान कुछ और चाहता था और वो हमेशा के लिए दूर हो गयी ।