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मछलियों के आनुवांशिक गुणों में लगातार गिरावट: शोध

उत्तर बिहार के तालाब में पाली जाने वाली मछलियों में तरह- तरह की बीमारियां हो रहीं पैदा, उत्पादन पर भी पड़ रहा असर

By Srishti VermaEdited By: Published: Tue, 21 Nov 2017 09:28 AM (IST)Updated: Tue, 21 Nov 2017 09:28 AM (IST)
मछलियों के आनुवांशिक गुणों में लगातार गिरावट: शोध
मछलियों के आनुवांशिक गुणों में लगातार गिरावट: शोध

बेतिया (शशि कुमार मिश्र)। उत्तर बिहार में तालाब में पाली जाने वाली मछलियों के आनुवांशिक गुणों में लगातार
गिरावट हो रही है। इनमें तरह-तरह की बीमारियां पैदा हो रही हैं। इसका असर उत्पादन पर भी पड़ रहा है। मुख्य कारण तालाब में वैसी मछलियों के बीज का इस्तेमाल किया जाना है, जिसका उत्पादन ब्रीडिंग से किया गया है। यह बात मछलियों पर हुए शोध में सामने आई है।

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इन स्थानों से लिए मछलियों के नमूने : राष्ट्रीय मत्स्य आनुवांशिक संस्थान ब्यूरो, लखनऊ के वैज्ञानिकों ने हाल में सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, वैशाली, पूर्वी चंपारण एवं पश्चिमी चंपारण की विभिन्न नदियों व तालाबों से मछलियों के नमूने लेकर अध्ययन किया। इनमें रोहू, नैनी, भकूरा, मोय, महासिर और पागदा सहित 27 प्रजातियों की मछलियां शामिल की गईं। शोध में यह बात सामने आई कि नदियों में पाई जाने वाली मछलियां तो ठीक हैं, लेकिन तालाब की मछलियों के आनुवांशिक गुणों में गिरावट आ रही है।

उनमें कई तरह की बीमारियां भी हो रही हैं। नदी की मछलियां मजबूत हैं। कम दिनों में ज्यादा विकास भी हो रहा है। इसका मुख्य कारण तालाब में वैसी मछलियों के बीज का इस्तेमाल किया जाना है, जिसका उत्पादन इनकी ब्रीडिंग के द्वारा किया गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार इन ब्रीडिंग वह प्रक्रिया है, जिसमें ब्रीड मछलियों से उत्पन्न उनके बच्चों की भी आपस में ब्रीडिंग कराई जाती है। इस प्रक्रिया में मछलियों की संतान ही एक दूसरे से ब्रीड करते हैं। यह समस्या नीली क्रांति में बहुत बड़ी बाधक बन रही है।

नए बीज विकसित करने पर ध्यान दे रहे वैज्ञानिक : वैज्ञानिक अब ऐसे बीज तैयार कर रहे हैं, जो पूरी तरह शुद्ध होगा। उसे न्यूक्लियस बीज कहा जाएगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि बिहार की नदियों में अभी मछलियों की अनुवांशिकता में गिरावट नहीं आई है। यह बेहतर मौका है कि इससे ज्यादा से ज्यादा मछलियां उत्पन्न कराई जाएं। आनुवांशिक के सिद्धांत के अनुसार मवेशियों के फॉर्म हाउस में भी ब्रीडिंग कराने के पूर्व उनके पूर्वजों की छह पीढ़ी देखी जाती है। यानी उनके बच्चों में ब्रीडिंग नहीं कराई जाती है, लेकिन तालाब की मछलियों में इस बात का अभाव है।

विश्व मत्स्य दिवस पर आज विशेष कार्यक्रम
नई दिल्ली, प्रेट्र : विश्व मत्स्य दिवस पर कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह मंगलवार को एक कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे। यह एक दिवसीय कार्यक्रम वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने की थीम पर आधारित होगा। पुसा रोड पर यह कार्यक्रम कृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित किया जाएगा। इस दौरान प्रदर्शनियां, तकनीकी सत्र आदि का आयोजन होगा और सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूक किया जाएगा। बता दें कि भारत में पिछले चार वर्षों से विश्व मत्स्य पालन दिवस मनाया जा रहा है।

इन ब्रीडिंग से बचाव कर वैज्ञानिकों द्वारा जो मछली बीज उत्पन्न किया जाएगा वह बेहतर, बीमारी रहित एवं ज्यादा
उत्पादन देने वाला होगा। न्यूक्लियस बीज के उत्पादन के लिए केंद्र सरकार की मदद से सीतामढ़ी के राघवपुर फिश फॉर्म में ब्रीड बैंक स्थापित किए जा रहे हैं। वहां से मत्स्य पालकों को मछलियों के बीज उपलब्ध कराए जाएंगे। - मनीष श्रीवास्तव, जिला मत्स्य पालन पदाधिकारी

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