एक क्लिक पर जानिए गाय-भैंस की वंशावली
गोरखपुर (गिरीश कुमार पांडेय)। आपके पशु का भले ही कोई नाम न हो, पर अब उसकी अपनी पहचान होगी। नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) के एनीमल ब्रीडिंग अनुसंधान ने अच्छी प्रजाति के पशुओं की फील्ड परफार्मेस रिकार्डिग की ऐसी तकनीक तैयार की है, जिसमें टैग नंबर पर क्लिक करते ही संबंधित पशु की पूरी वंशावली आपके सामने हो
गोरखपुर (गिरीश कुमार पांडेय)। आपके पशु का भले ही कोई नाम न हो, पर अब उसकी अपनी पहचान होगी। नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) के एनीमल ब्रीडिंग अनुसंधान ने अच्छी प्रजाति के पशुओं की फील्ड परफार्मेस रिकार्डिग की ऐसी तकनीक तैयार की है, जिसमें टैग नंबर पर क्लिक करते ही संबंधित पशु की पूरी वंशावली आपके सामने होगी। उस पशु की प्रजाति, दुग्ध उत्पादन क्षमता व सेहत के बारे में जान सकते हैं। संबंधित पशुपालक से पशु की खरीद-फरोख्त के बारे में भी बात कर सकते हैं।
एनडीडीबी, सलोन ने इस योजना के तहत गाय-भैंस की प्रजाति के अनुसार मानक तय किए हैं। होलिस्टियन फ्रीजियन (एचएफ) प्रजाति अगर रोज 30 लीटर या इससे अधिक दूध दे रही है तो उसे टैग किया जा सकता है। जर्सी 20, साहीवाल 18 व भैंस की मुर्रा नस्ल के लिए 15 लीटर का मानक है। टैग्ड पशु का टीकाकरण, सेहत की नियमित देखरेख व गुणवत्तायुक्त कृत्रिम गर्भाधान की जिम्मेदारी उस संस्था की होगी, जिसे यह काम दिया गया है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यह काम एनडीडीबी खुद करा रही है। पूर्वाचल में जिम्मेदारी सेंट्रल एनीमल ब्रीडिंग संस्थान को दी गई है। एनडीडीबी के स्पर्म स्टेशन इंचार्ज डा.आरपी सिंह के अनुसार दुग्ध उत्पादन बढ़ाने को गुणवत्तायुक्त स्पर्म की मांग बढ़ी है। संस्थान इस मांग का 70-80 फीसद ही पूरा कर पा रहा है। ऐसे में टैग्ड पशु सहायक साबित होंगे। चिकित्सक की निगरानी में मादा बच्चे दुग्ध उत्पादन बढ़ाने में मददगार होंगे तो नर पशु अगर पूरी तरह से स्वस्थ्य हैं तो उसे संस्थान खरीदकर उनके स्पर्म से यही काम करेगा। पूर्वाचल में संस्थान को 10 हजार टैग मुहैया कराए गए हैं।
संयुक्त राष्ट्रसंघ में सलाहकार रह चुके संस्थान के चेयरमैन डा.संजीव श्रीवास्तव के अनुसार उनका लक्ष्य एक लाख गुणवत्ता के पशुओं के टैगिंग का है। जल्द ही एनडीडीबी की टीम इसकी समीक्षा के लिए भी यहां आएगी।
डेनमार्क से आएंगे 80 सांड़:
हाल में एक साक्षात्कार में एनडीडीबी के चेयरमैन टी. नंद कुमार ने कहा कि विश्व बैंक से पोषित नेशनल डेयरी प्लान के तहत संस्थान ने डेनमार्क को 80 एचएफ सांड़ों (जिनके मां की क्षमता रोज 30 लीटर या इससे अधिक) के आर्डर दिए हैं।