जीडीए कर्मियों ने कर दिया उत्तराखंड सीएम के प्लॉट का सौदा
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) के कर्मचारियों ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत के प्लॉट का सौदा कर दिया। रावत के प्लॉट को किसी अन्य का प्लॉट बताकर 25 लाख रुपये एडवांस भी ले लिए। पुलिस से शिकायत के बाद मामले का खुलासा हुआ। कोतवाली सिहानी गेट पुलिस ने जीडीए के चार कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। हरीश रावत का प्लॉट ज्ञानखंड में है।
गाजियाबाद [जासं]। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) के कर्मचारियों ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत के प्लॉट का सौदा कर दिया। रावत के प्लॉट को किसी अन्य का प्लॉट बताकर 25 लाख रुपये एडवांस भी ले लिए। पुलिस से शिकायत के बाद मामले का खुलासा हुआ। कोतवाली सिहानी गेट पुलिस ने जीडीए के चार कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। हरीश रावत का प्लॉट ज्ञानखंड में है।
बहरामपुर के रहने वाले गुलाब सिंह यादव की मुलाकात एक परिचित के माध्यम से जीडीए के कर्मचारी विनय कुमार से हुई थी। 10 फरवरी, 2010 को गुलाब सिंह ने एक प्लॉट व एक फ्लैट खरीदने के लिए विनय से मदद मांगी। विनय ने जीडीए के ही कर्मचारियों मेवालाल, प्रशांत कुमार व वीरपाल राघव से गुलाब की मुलाकात कराई। चारों ने मिलकर गुलाब को बताया कि ज्ञानखंड में एक प्लॉट व गोविंदपुरम में एक प्लॉट है। ज्ञानखंड के प्लॉट के लिए 80 लाख व गोविंदपुरम में प्लॉट के लिए 22 लाख रुपये की मांग हुई। इस तरह दोनों प्लॉट व फ्लैट के लिए एक करोड़ दो लाख रुपये में सौदा हुआ। 16 अप्रैल, 2010 को चारों लोगों ने गुलाब सिंह से 25 लाख रुपये एडवांस ले लिया। इसके बाद ज्ञानखंड का प्लॉट विनय व गोविंदपुरम का फ्लैट भूषण नामक किसी आदमी का बताया गया जबकि ज्ञानखंड का प्लॉट उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत के नाम आवंटित है।
एडवांस वापसी का चल रहा था प्रयास
यह मामला 2010 का है लेकिन अब तक पुलिस से इसकी शिकायत नहीं हुई थी। बताया जाता है कि दोनों पक्षों में एडवांस लौटाने की बात चल रही थी। वादी पक्ष किसी तरह पैसे की वापसी चाह रहा था लेकिन जब बात नहीं बनी तब पुलिस से शिकायत की गई।