आईपीसी की धारा 377 के खिलाफ फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे समलैंगिक
समलैंगिक समुदाय के लोगों ने अपने मौलिक अधिकार के नाम पर धारा 377 को खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रूख किया है।
नई दिल्ली। अपने अधिकारों के खिलाफ लड़ाई को और तेज करते हुए समलैंगिक समुदाय (एलजीबीटी) के लोगों ने एक बार फिर से यौन संबंध में प्राथमिकता को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रूख करते हुए जीने के अधिकार के नाम पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 को खत्म करने की मांग की है।
इस मामले में नृत्यक एस.एस. जौहर, पत्रकार सुनील मेहरा, रितु डालमिया, होटल के मालिक अमन नाथ और व्यावसायी आयशा कपूर की तरफ से याचिका लगायी गई है, जिस पर 45 दिनों के अवकाश के बाद सुप्रीम कोर्ट में 29 जून को सुनवाई होगी। समलैंगिकों की तरफ से इस मामले की पैरवी जानेमाने वकील कपिल सिब्बल और अरविंद दतार जिरह कर समलैंगिकों के समर्थन में कोर्ट के सामने बातें रखेंगे।
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टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, समलैंगिकों की तरफ से दायर ताजा याचिका के बाद एक बार फिर से नाज़ फाउंडेश की तरफ से दाखिल लंबित याचिका और समलैंगिक के प्रति सहानुभूति रखनेवाले फिल्म निर्माता श्याम बेनेगल के प्रयासों को बल मिलेगा।
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समलैंगिक संबंध बनाने वालों को अपराध माननेवाली आईपीसी की आईपीसी 377 के खिलाफ दो बार लगायी गयी याचिका पर सुनावई से इनकार के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस साल 2 फरवरी को इसे पांच न्यायाधीशों की बेंच के पास भेजते हुए इसे 'महत्वपूर्ण संवैधानिक मुद्दा' करार दिया गया था।