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संसद में मुखर हुई गंगा की आवाज

कल-कल करती गंगा का मधुर स्वर भले ही गंदगी के बोझ से मौन पड़ गया हो लेकिन पतितपावनी को बचाने की आवाज सड़क से संसद तक मुखर होती जा रही है। हाल यह है कि लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों ने गंगा की स्थिति को लेकर सरकार के समक्ष सवालों की झड़ी लगा दी है।

By Edited By: Published: Mon, 14 Jul 2014 09:19 PM (IST)Updated: Mon, 14 Jul 2014 09:38 PM (IST)
संसद में मुखर हुई गंगा की आवाज

नई दिल्ली (हरिकिशन शर्मा)।

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कल-कल करती गंगा का मधुर स्वर भले ही गंदगी के बोझ से मौन पड़ गया हो लेकिन पतितपावनी को बचाने की आवाज सड़क से संसद तक मुखर होती जा रही है। हाल यह है कि लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों ने गंगा की स्थिति को लेकर सरकार के समक्ष सवालों की झड़ी लगा दी है। सांसद गंगा को निर्मल बनाने की योजनाओं और उस पर खर्च के साथ-साथ मोक्षदायिनी में गंदगी डालने वालों को सजा देने के संबंध में सवाल पूछ रहे हैं। सदस्य जानना चाहते हैं कि सरकार ने अब तक गंगा को बचाने के लिए क्या किया और इसे दूषित करने वाले गुनहगारों को क्या सजा दी।

केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि गंगा के बारे में सवाल पूछने वालों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। पहले की अपेक्षा दोगुने से भी अधिक सवाल गंगा की स्थिति और नदियों के प्रदूषण के बारे में आ रहे हैं। लोकसभा और राज्यसभा में इस मंत्रालय के दिन औसतन दर्जनभर सवाल गंगा और नदी प्रदूषण के बारे में ही होते हैं।

अधिकारी ने कहा कि सोमवार को राज्यसभा में इस मंत्रालय के लगभग 45 लिखित और मौखिक प्रश्न थे जिसमें 13 प्रश्न सीधे तौर पर गंगा तथा अन्य नदियों के प्रदूषण से संबंधित थे। गंगा के बारे में संसद में सवालों की वृद्धि ऐसे समय हुई जब दैनिक जागरण ने गंगा को अविरल और निर्मल बनाने को एक महाभियान 'गंगा जागरण' छेड़ा हुआ है। इस अभियान की खासियत यह है कि इसमें आम लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ संसद सदस्यों से एक शपथ ली जा रही है कि वे गंगा को निर्मल बनाने के लिए क्या-क्या उपाय करेंगे।

राज्यसभा में भाजपा नेता विजय गोयल, तरुण विजय, कांग्रेस नेता मोती लाल वोरा, सपा सदस्य नरेश अग्रवाल तथा कई अन्य दलों के नेताओं ने गंगा के बारे में लिखित सवाल पूछे। उत्तराखंड से कांग्रेस के सदस्य महेन्द्र सिंह माहरा ने सरकार से पूछा कि गंगा में गंदगी डालने वाली कंपनियों के खिलाफ सरकार ने क्या कार्रवाई की है। इसके लिखित जवाब में केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्य मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गंगा में गंदगी डालने वाली 704 औद्योगिक इकाइयों की जांच की है, इनमें से 165 औद्योगिक इकाइयों को निर्देश जारी किये गये हैं जिसमें 48 इकाइयों को बंद करने के आदेश भी शामिल हैं।

पश्चिम बंगाल से तृणमूल कांग्रेस के सदस्य विवेक गुप्ता के एक सवाल के जवाब में गंगवार ने कहा कि गंगा का अविरल प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए तीन जलविद्युत परियोजनाओं- लोहारी नागपाला, पला मनेरी और भैरोघाटी बिजली परियोजनाओं को भी 2010 में रोक दिया गया है।

उल्लेखनीय है कि हाल ही में पेश हुए बजट में मोदी सरकार गंगा की सफाई के लिए 2037 करोड़ रुपये की 'नमामि गंगे' योजना घोषित की है। इसके अलावा सरकार ने गंगा के लिए अलग मंत्रालय भी बनाया है।

पढ़ें : गंतव्य संरक्षण पर होगा मंथन


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