Move to Jagran APP

डॉल्फिन नहीं बची तो सूनी हो जाएगी गंगा

गंगा नदी में पाई जाने वाली दुर्लभ डॉल्फिन अब विलुप्त होने के कगार पर हैं। गंगा में डॉल्फिन की संख्या दो हजार से भी कम रह गयी है। बढ़ते प्रदूषण व शिकार और राज्य सरकारों के उदासीन रवैये के चलते डॉल्फिन की संख्या तेजी से घटती जा रही है। ऐसे में अगर डॉल्फिन नहीं बची तो न केवल गंगा सूनी हो जाएगी बल्कि उसकी जैव विविधता और पारिस्थितिकी पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा।

By Edited By: Published: Sat, 12 Jul 2014 08:29 PM (IST)Updated: Sat, 12 Jul 2014 08:31 PM (IST)
डॉल्फिन नहीं बची तो सूनी हो जाएगी गंगा

नई दिल्ली (हरिकिशन शर्मा)

prime article banner

गंगा नदी में पाई जाने वाली दुर्लभ डॉल्फिन अब विलुप्त होने के कगार पर हैं। गंगा में डॉल्फिन की संख्या दो हजार से भी कम रह गयी है। बढ़ते प्रदूषण व शिकार और राज्य सरकारों के उदासीन रवैये के चलते डॉल्फिन की संख्या तेजी से घटती जा रही है। ऐसे में अगर डॉल्फिन नहीं बची तो न केवल गंगा सूनी हो जाएगी बल्कि उसकी जैव विविधता और पारिस्थितिकी पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा।

गंगा में डॉल्फिन की संख्या कितनी बची है इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा तो उपलब्ध नहीं है लेकिन पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के मुताबिक इनकी संख्या लगभग 2000 है। केंद्र सरकार ने 2010 में डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया, लेकिन गंगा डॉल्फिन का अस्तित्व बचाने के लिए कोई ठोस कार्यक्रम नहीं बनाया। केंद्र ने राज्यों से डॉल्फिन के लिए प्रबंधन योजनाएं बनाने को कहा लेकिन उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल ने अब तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाए हैं।

गंगा नदी में डॉल्फिन को मुख्य खतरा जल प्रदूषण, शिकार, और दुर्घटनाओं से है। भागलपुर विश्वविद्यालय में विक्रमशिला जैव विविधता शिक्षा और शोध केंद्र के प्रोफेसर सुनील के चौधरी का कहना है कि डॉल्फिन गंगा के स्वास्थ्य का प्रतीक है। जिस तरह वन के स्वास्थ्य का प्रतीक बाघ है उसी तरह गंगा की सेहत का अंदाजा भी डॉल्फिन की संख्या के आधार पर लगेगा। अगर इनकी संख्या बढ़ेगी तो गंगा निर्मल हो जायेगी।

दरअसल गंगा में जो डॉल्फिन पायी जाती है वह पूरी दुनिया में पायी जाने वाली ताजे पानी की डॉल्फिन की चार दुर्लभ प्रजातियों से एक है। गंगा के अलावा चीन की यांग्त्जी नदी में इस तरह की डॉल्फिन मिलती थी, वहां इसे 'बैजी' कहते थे, लेकिन अब यह विलुप्त हो गयी है। 2006 में अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के एक दल ने इसे लुप्त करार दे दिया गया। पाकिस्तान में सिंधु नदी में भी इस तरह की डॉल्फिन पायी जाती है जिसे 'भूलन' कहते हैं। इसी तरह लैटिन अमेरिका में अमेजन नदी में इस तरह की डॉल्फिन मिलती है से 'बोटो' कहते हैं। वैसे तो डॉल्फिन की कई प्रजातियां समुद्र में भी रहती हैं लेकिन ये चार प्रजातियां ऐसी हैं जो सिर्फ नदी या झील में ही मिलती हैं।

पढ़ें : डॉल्फिन की लापरवाही में गई जान


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.