जर्मनी के 7.5 करोड़ से स्वच्छ होगी गंगा
अब जर्मनी की ओर से सीपीसीबी को संपर्क किया गया है। सीपीसीबी के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक 16 अगस्त को रखी गई है।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। नमामि गंगे परियोजना को जल्द ही जर्मन तकनीक से गति मिलेगी। जर्मनी का एक विशेष प्रतिनिधिमंडल एक- दो दिन में ही भारत आ जाएगा। 16 अगस्त को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के साथ इस परियोजना की रूपरेखा को लेकर विस्तृत बैठक की जाएगी।
गौरतलब है कि नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा के सफाई अभियान को लेकर केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय और जर्मन राजदूत के बीच लिखित समझौता अप्रैल 2016 में हो गया था। तब तय हुआ था कि जर्मनी की ओर से इस परियोजना पर तकरीबन 22.5 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, लेकिन बजट वगैरह जारी न होने से इस दिशा में अभी तक आगे का काम शुरू नहीं हो पाया था।
अब जर्मनी की ओर से सीपीसीबी को संपर्क किया गया है। सीपीसीबी के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक 16 अगस्त को रखी गई है। इसी बैठक में तय किया जाएगा कि जर्मनी के तकनीकी विशेषज्ञों का सहयोग किस तरह से लिया जाएगा। बताया जाता है कि गंगा क्षेत्र में 44 मॉनिट¨रग स्टेशन हैं। इनमें से कुछ स्टेशन जर्मन विशेषज्ञों को सौंपे जा सकते हैं। वे इनकी निगरानी करेंगे, आंकड़ों के आधार पर रिपोर्ट बनाएंगे और फिर उसी के अनुरूप सुधार के उपाय तय किए जाएंगे।
जागरण से बातचीत में सीपीसीबी के अतिरिक्त डॉ. एसके त्यागी ने बताया कि बजट को लेकर आ रही कुछ अड़चनों के चलते अभी तक जर्मनी का सहयोग नहीं मिल पाया था। लेकिन अब जर्मन सरकार फिलहाल शुरुआती दौर में एक मिलियन यूरो यानी करीब 7.5 करोड़ रुपये देने को तैयार हो गई है।