सौ दिन सरकार के: पहली बार सरकार की प्राथमिकता में ऊपर आई गंगा
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। मोदी सरकार ने अपने शुरुआती सौ दिन के भीतर ही न सिर्फ गंगा के लिए अलग मंत्रालय बनाया, बल्कि पतितपावनी को निर्मल बनाने के लिए 2,037 करोड़ रुपये की 'नमामि गंगे' योजना का ऐलान भी किया। सरकार ने गंगा को प्रदूषित करने वाले उद्योगों की ऑनलाइन निगरानी की प्रक्रिया भी शुरु की है। यह पहला मौका ह
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। मोदी सरकार ने अपने शुरुआती सौ दिन के भीतर ही न सिर्फ गंगा के लिए अलग मंत्रालय बनाया, बल्कि पतितपावनी को निर्मल बनाने के लिए 2,037 करोड़ रुपये की 'नमामि गंगे' योजना का ऐलान भी किया। सरकार ने गंगा को प्रदूषित करने वाले उद्योगों की ऑनलाइन निगरानी की प्रक्रिया भी शुरु की है। यह पहला मौका है, जब किसी सरकार ने अपनी प्राथमिकताओं में गंगा को इतना ऊपर रखा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 26 मई को सत्ता संभालने के अगले ही दिन गंगा संरक्षण के लिए अलग मंत्रालय बनाया। केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय को ही गंगा और उसकी सहायक नदियों जैसे- यमुना, गोमती और रामगंगा आदि नदियों में हो रहे प्रदूषण को रोकने का जिम्मा सौंपा गया है। सरकार के इस फैसले से गंगा के साथ ही उसकी सहायक नदियों का भी भला होना तय है।
केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय ने सात जुलाई को गंगा मंथन कार्यक्रम का आयोजन कर वैज्ञानिकों, पर्यावरणविदों, गैर सरकारी संगठनों और जनप्रतिनिधियों के साथ गंगा नदी को निर्मल बनाने के विभिन्न उपायों पर चर्चा की।
सरकार ने 10 जुलाई को अपने पहले आम बजट में गंगा के लिए महत्वाकांक्षी 'नमामि गंगे' कार्यक्रम घोषित कर 2037 करोड़ रुपये की भारी भरकम धनराशि आवंटित की। इसके अलावा गंगा तथा यमुना के घाटों के संरक्षण के लिए भी 100 करोड़ रुपये आवंटित किए।
पर्यावरण मंत्रालय, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने संयुक्त रूप से गंगा को प्रदूषित करने वाले उद्योगों की ऑनलाइन निगरानी की व्यवस्था भी शुरू की। पर्यावरण मंत्रालय ने संबंधित राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से कहा है कि 31 मार्च 2015 तक इन सभी उद्योगों में प्रदूषण की ऑनलाइन निगरानी के उपकरण लगा दिए जाएं।
उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में लगभग 900 उद्योगों की गंदगी गंगा में प्रवाहित हो रही है। इसके अलावा बड़ी तादाद में शहरी क्षेत्रों का सीवर भी बिना ट्रीट किए ही गंगा में डाला जा रहा है। ऐसे में प्रदूषणकारी उद्योगों की निगरानी व्यवस्था बनने से गंगा को निर्मल रखने में मदद मिलेगी।
इसके अलावा सरकार ने वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में शुरू हुई नदी जोड़ो परियोजना को भी आगे बढ़ाते हुए केन बेतवा लिंक परियोजना को मंजूरी दी। इस परियोजना के पूरा होने पर बुंदेलखंड को खासा लाभ होगा।
मुख्य फैसले:
-'नमामि गंगे' कार्यक्रम घोषित, 2037 करोड़ रुपयों का आवंटन
-गंगा-यमुना के घाटों के संरक्षण के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित
-प्रदूषित करने वाली औद्योगिक इकाइयों की ऑनलाइन निगरानी
-वर्षो से लंबित पड़ी नदी जोड़ो परियोजना में भी फूंकी जान
-सचिवों के समूह ने गंगा की सफाई के लिए सरकार को सौंपी रिपोर्ट