फुल कोर्ट में हो विवाद पर विचार, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन का अनुरोध
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर मौजूदा विवाद पर फुल कोर्ट में विचार किये जाने की मांग की है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों द्वारा मुख्य न्यायाधीश पर लगाए गए आरोपों से न्यायपालिका में उठे भूचाल का असर शनिवार को भी कायम रहा। एक तरफ सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर मौजूदा विवाद पर फुल कोर्ट में विचार किये जाने की मांग की है साथ ही मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया है कि जनहित याचिकाओं को कोलीजियम के सदस्य वरिष्ठ न्यायाधीशों की अदालत में ही सुनवाई के लिए लगाया जाए। दूसरी ओर वकीलों की विधायी संस्था बार काउंसिल आफ इंडिया ने सात सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल नियुक्त किया है जो सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीशों से मुलाकात कर इस मसले को सुलझाने की गुजारिश करेगा।
न्यायपालिका में उठे विवाद की गर्मी ने शनिवार को दिल्ली के सर्द दिन का माहौल दिन भर गरमाए रखा। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल एक्जीक्यूटिव कमेटी की बैठक बुलाई और स्थिति पर विचार विमर्श किया। बैठक में करीब डेढ़ घंटे तक विचार चलने के बाद सर्व सम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया। जिसमें मुख्य न्यायाधीश से मौजूदा विवाद पर फुल कोर्ट में विचार किये जाने का अनुरोध है। इसके अलावा बार एसोसिएशन ने अपने प्रस्ताव में यह भी मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट में लंबित और दाखिल होने वाली सभी जनहित याचिकाओं पर या तो मुख्य न्यायाधीश स्वयं सुनवाई करें। और अगर वे जनहित याचिकाओं को किसी अन्य पीठ में भेजते हैं तो कोलीजियम के सदस्य चार वरिष्ठ जजों की पीठ में ही लगाया जाए। मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट कोलीजियम में मुख्य न्यायाधीश को मिला कर कुल पांच जज होते हैं।
मुख्य न्यायाधीश के अलावा जो चार वरिष्ठतम जज कोलीजियम के सदस्य हैं, वे वही चार न्यायाधीश हैं जिन्होंने शुक्रवार को प्रेस कान्फ्रेंस करके मुख्य न्यायाधीश के कार्य आवंटन पर सवाल उठाए हैं। कोलीजियम के सदस्य चार न्यायाधीशों में जस्टिस जे. चेलमेश्वर. जस्टिस रंजन गोगोई जो कि जस्टिस दीपक मिश्रा के बाद अगले मुख्य न्यायाधीश बनेंगे, जस्टिस मदन बी. लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ हैं। बार एसोसिएशन के प्रस्ताव में यहां तक कहा गया है कि सोमवार को सुनवाई के लिए लगे मामलों में भी जनहित याचिकाओं को उनके अनुरोध के मुताबिक ही सुनवाई के लिए लगाया जाए।
बार एसोसिएशन के अध्यक्ष वरिष्ठ वकील विकास सिंह और सचिव विक्रांत यादव ने पारित प्रस्ताव की जानकारी देते हुए बताया कि अभी तुरंत ही यह प्रस्ताव मुख्य न्यायाधीश को भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि वे मुख्य न्यायाधीश से मुलाकात के लिए समय मांगेगे। एसोसिएशन चाहती है कि मौजूदा विवाद का निपटारा सुप्रीम कोर्ट में ही आंतरिक तौर पर होना चाहिए। सिंह ने कहा कि इस संस्था की गरिमा बनी रहनी चाहिए। इसकी साख को कोई आघात नहीं पहुंचना चाहिए। सिंह ने कहा कि अभी तक उनकी मुख्य न्यायाधीश से कोई बात नहीं हुई है। इसके अलावा सिंह ने चार वरिष्ठ न्यायाधीशों द्वारा प्रेस कान्फ्रेंस किये जाने पर भी कोई टिप्पणी करने से यह कहते हुए इन्कार कर दिया कि ये उन न्यायाधीशों का फैसला था।
जजों से मिलेगा बीसीआई प्रतिनिधि मंडल
उधर बार काउंसिल आफ इंडिया (बीसीआई) ने भी न्यायपालिका में उत्पन्न मौजूदा समस्या को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों से मिलने का फैसला किया है। बीसीआई ने शनिवार को उपजे विवाद पर बैठक कर विचार विमर्श किया। बैठक में सात सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल का गठन किया गया है जो सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीशों से रविवार को मुलाकात करेगा और आंतरिक तौर पर आपसी बातचीत के जरिये विवाद सुलझाने का अनुरोध करेगा। प्रतिनिधि मंडल में बीसीआई के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा, प्रताप मेहता, प्रभाकरण, सदाशिव रेड्डी, नीलेश कुमार, रामचंद्र शाह, अपूर्व शर्मा और टीएस अजीत हैं। अध्यक्ष मनन मिश्रा ने कहा कि न्यायपालिका की छवि धूमिल नहीं होनी चाहिए किसी भी तरह यह विवाद सुलझना चाहिए।
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