इस डॉक्टर की बारात में रौनक बनेंगे 400 दिव्यांग बच्चे, ड्राइंग प्रतियोगिता भी होगी
डॉ. शुक्ला कहते हैं कि आमतौर पर शादियों में शानो-शौकत और वैभव प्रदर्शन ही हावी रहता है, लेकिन समाज के इस वर्ग के बारे में कोई नहीं सोचता।
भोपाल, नईदुनिया। दिव्यांग बच्चों के लिए खुशियां अमूमन सपना ही होती हैं, अभिभावक भी उन्हें सामाजिक समारोह में ले जाने से कतराते हैं। लेकिन भोपाल के एक डॉक्टर ने अपनी शादी की खुशियां समाज से उपेक्षित दिव्यांग बच्चों के बीच ही मनाने का निर्णय किया है। लीक से हटकर 22 मई को होने वाली इस अनूठी शादी में बैंड-बाजे के साथ विशेष बाराती के रूप में करीब 400 दिव्यांग बच्चे मस्ती और डांस करते दिखेंगे। इन बच्चों की एक ड्राइंग प्रतियोगिता भी होगी, विदाई में उन्हें गिफ्ट भी दी जाएगी।
डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया के सबसे कम उम्र के सदस्य एवं राजधानी के डेंटिस्ट डॉ. चंद्रेश शुक्ला (33) एवं उनकी होने वाली जीवन संगिनी जबलपुर की डॉ. देवाश्री अवस्थी (27) ने दिव्यांगों के प्रति समाज की सोच बदलने के लिए यह निर्णय लिया। पीएचडी कर चुके डॉ. शुक्ला एवं ग्वालियर से एमडीएस कर रहीं देवाश्री की शादी में दोनों पक्ष के रिश्तेदार-मित्र तो होंगे ही, लेकिन विशेष मेहमानों के तौर पर इन 'दिव्यांग बच्चों' को आमंत्रित किया गया है। शारीरिक एवं मानसिक अपाहिज बच्चों के अलावा ब्लाइंड स्कूल के नेत्रहीन बच्चे भी शादी में शिरकत करेंगे।
कागज पर उकेरेंगे कल्पनाएं
डॉ. शुक्ला कहते हैं कि आमतौर पर शादियों में शानो-शौकत और वैभव प्रदर्शन ही हावी रहता है, लेकिन समाज के इस वर्ग के बारे में कोई नहीं सोचता। हमने परिवार में जब इस मुद्दे पर चर्चा की तो शुरुआती किन्तु-परंतु के बाद सहमति मिल गई। दुल्हन ने भी रजामंदी दे दी। अब दोनों परिवार इस शादी को यादगार बनाने में जुटे हैं। डॉ. शुक्ला बताते हैं कि बाल आयोग ने भोपाल में दिव्यांग बच्चों के लिए 'एमएस धोनी' फिल्म का विशेष शो कराया था। उस दिन इन बच्चों के चेहरे पर मैंने जो प्रसन्नता के भाव देखे वे अद्भुत थे। तभी तय कर लिया कि इनके चेहरे पर मुस्कान लाने कोई भी मौका नहीं छोड़ूंगा। अब इनके सामने ही संगिनी के साथ सात फेरे लूंगा।
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