लखनऊ में झोपड़ी में आग लगने से चार की जलकर मौत
तालकटोरा थाना क्षेत्र के राजाजीपुरम सेक्टर 13 सी ब्लाक में आज तड़के झुग्गी झोपडिय़ों में संदिग्ध परिस्थितियों में अचानक आग लग गई। आग से चार लोगों की दर्दनाक मौत हो गई।
लखनऊ (जेएनएन)। प्रदेश की राजधानी के राजाजीपुरम क्षेत्र में आज तड़के संदिग्ध परिस्थितियों में आग लगने से करीब एक दर्जन झोपड़ी खाक हो गई। आग की चपेट मेें आकर एक ही परिवार के चार लोगों की मौत हो गई जबकि एक दर्जन लोग झुलस गए हैं। आग लगने से लाखों का सामान भी खाक हो गया है।
तालकटोरा थाना क्षेत्र के राजाजीपुरम सेक्टर 13 सी ब्लाक में अलीतरंग मैरिज हाल के पास आज तड़के झुग्गी झोपडिय़ों में संदिग्ध परिस्थितियों में अचानक आग लग गई। आग से पांच झोपड़ी जलकर खाक हो गईं और एक ही परिवार के चार लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। आग की घटना की सूचना के दो घण्टे बाद दमकल की गाडिय़ां मौके पर पहुंचीं। दो घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका। आग लगने का कारण स्पष्ट नहीं हो सका है।
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अलीतरंग मैरिज हाल के पास तड़के करीब साढ़े तीन बजे अचानक आग लग गई। धुआं उठता देख पड़ोसी कुछ समझ पाते कि आग ने विकराल रूप ले लिया। झुग्गी-झोपडिय़ों में बड़ी मात्रा में पॉलीथीन लगी होने के कारण आग ने विकराल रूप धारण कर लिया। आग हवा के साथ फैलती चली गई। महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग व युवा अपनी झोपडिय़ों से निकलकर भागने लगे। चारों तरफ भगदड़ मच गई। जैसे तैसे लोगों ने झोपड़ी से निकलकर अपनी जान बचाई।
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आग की चपेट में आने के कारण बाराबंकी के फतेहगढ़ ढ़कवा निवासी प्रेमसागर अपनी पत्नी रत्नादेवी बेटा महेश, शिवकुमार, सुधीर बेटी बबली व प्रियंका के साथ झुलस गए। प्रेम कई वर्ष से झोपड़ी बनाकर यहां रह रहा था। कल प्रेमसागर अपने बेटे महेश व शिवकुमार के साथ इन्द्रानगर कैटरिंग के काम में गए थे। झोपड़ी में सो रही प्रेमसागर की पत्नी रत्नादेवी (45) बेटा सुधीर (8) बेटी बबली (13) व प्रियंका (9) झोपड़ी से बाहर नहीं निकल सके और आग में जलकर दर्दनाक मौत हो गई। आग लगने से आस पास की पांच झोपडियां जलकर खाक हो गई और झोपड़ी में रखा गृहस्थी का सारा सामान व कपड़े जलकर खाक हो गए लोग अपनी जान बचाकर सड़क पर आ गए और अपने परिवार को ढूंढने लगे।
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आग लगने की जानकारी मिलने पर दो घंटे बाद आलमबाग फायर ब्रिगेड से तीन दमकल गाडिय़ां वहां पर पहुंचीं। तब तक सब कुछ जलकर खाक हो चुका था। दो घण्टे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया। तालकटोरा पुलिस ने चार शवों को बाहर निकालकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
इनका खाक हुआ सब
अग्निकांड में जरवल बहराइच निवासी रफीक अहमद, सुल्तानपुर निवासी बाबू, हरदोई भेदौरा हरियॉवा निवासी सलीम, बिहार रोहिताश सझौली निवासी सुनील गुप्ता की झोपड़ी जलकर खाक हो गई।
प्रेमसागर ईंट की गिट्टी तोड़कर व कैंटरिंग का काम करता था। तो जरवल बहराइच निवासी रफीक अहमद, सुल्तानपुर निवासी बाबू, हरदोई भेदौरा हरियॉवा निवासी सलीम, बिहार रोहिताश सझौली निवासी सुनील गुप्ता कबाड़ व पन्नी बीनने का काम करते थे। आग की चपेट में आकर इनकी सारी कमाई खाक हो गई।
बच गया रफीकुल का परिवार
आग की लपटें, काले धुएं का गुबार और चीख चिल्लाहट के बीच रफीकुल अपनी बेटी आफरीन, फूलबानों व बेटा फिरोज को ढूंढ़ रही थीं। साथ में पति रफीक अहमद भी भीड़ में बच्ची को खोज रहा था। दोनों के होंठ सूख चुके थे। अग्निकांड की भगदड़ में मां की ममता बच्चों को तलाशने में जुटी थी। आग से वह बेफिक्र थी, अचानक बच्चे आकर उससे लिपट गए। रफीकुल की आंखों से आंसू बहने लगा, लेकिन यह खूशी के आंसू थे। दरअसल वह बच्चे रफीकुल के ही थे।
माफिया बसा रहे झोपड-पट्टियां
सबका हिसाब-किताब तय है। पुलिस, नगर निगम और बिजली विभाग। विवादित जमीनों पर कबाड़ माफिया कथित बांग्लादेशियों को बसा रहे हैं। विवादित जमीन का किराया भी कबाड़ का ठेकेदार ही अदा करते हैं। वह इन लोगों से कबाड़ बिनवाते हैं और फिर उसे बेचते हैं। राजाजीपुरम सेक्टर 13 व रूकुन्दीपुर हनुमान मंदिर के सामने 132 केवीए हाईटेंशन लाईन के नीचे और गाजी हैदरकैनाल नाले के किनारे, गढ़ीकनौरा, ऐशबाग झोपड़पट्टी भी करीब एक दशक पुरानी है। तमाम विवादों में फंसी इस जमीन पर कई कबाड़ ठेकेदारों का कब्जा है। अलग स्थानों पर यहां करीब डेढ़ सौ झोपड़ पट्टियां हैं और टुकड़ों में यहां कबाड़ का धंधा होता है। कई हिस्सों में ऐसी झोपड़ पट्टी कबाड़ ठेकेदारों की मर्जी से चल रही हैं। बस्तियों में बिजली का कनेक्शन, पानी का होना भी सरकारी तंत्र में छेद व्यवस्था को बता रही हैं। कई बार इन जुग्गी झोपड़ी में हादसा भी हो चुका है। उसके बावजूद भी प्रशासन नहीं चेत रहा है।
कभी भी हो सकता है हादसा
राजाजीपुरम के सेक्टर 13 व सेक्टर 12 रूकुन्दीपुर हनुमान मंदिर के सामनें 132केवीए हाईटेंशन लाईन के नीचे खाली पड़ी जमीन पर एक दशक से जुग्गी झोपड़ी बसी हुई है। जिसमें लगभग अलग अलग स्थानों पर बीस से पचीस परिवार में लगभग दो सौ लोग रहते है। जो अपना जीवन यापन करनें के लिए पालीथीन व कबाड़ बीननें व इक_ा करते है। इन झोपडिय़ों में रहनें वाले अधिकांश लोग आसाम के है। इन्हें कबाड़ ठेकेदार लाकर बसाते है। जिससे उनका कबाड़ का कारोबार चलता है।।