सिद्ध हुआ फर्जीवाड़ा, पूर्व कानून मंत्री तोमर की डिग्री होगी रद
दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की डिग्री रद की जाएगी। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय ने इसकी अनुशंसा की है।
नई दिल्ली /भागलपुर [ जेएनएन ] । दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की डिग्री रद की जाएगी। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग व अनुशासन समिति ने इसकी अनुशंसा की है।
इसके अलावा विधि कॉलेज के प्राचार्य, शिक्षक व प्रधान कर्मी पर भी मामला दर्ज कराने की सिफारिश की गई है। शनिवार को होने वाली सिंडिकेट की बैठक में आगे की कार्रवाई की जाएगी।
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कुलपति प्रो. रमाशंकर दुबे की अध्यक्षता में शुक्रवार को परीक्षा बोर्ड और अनुशासन समिति की बैठक हुई। इसमें जितेंद्र तोमर की कानून की फर्जी डिग्री को रद करने की अनुशंसा की गई।
इसके अलावा अनुशासन समिति की बैठक में आंतरिक जांच कमेटी में आरोपी पाए पूर्व एवं वर्तमान कर्मचारियों पर भी कार्रवाई करने की अनुशंसा की गई।
रद होगी पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की डिग्री
तोमर प्रकरण में विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रतिकुलपति प्रो. अवध किशोर राय की अध्यक्षता में आंतरिक जांच कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी ने जांच में 14 लोगों को चिन्हित किया था।
इसी आधार पर शुक्रवार को हुई अनुशासन समिति की बैठक में कार्रवाई की अनुशंसा की गई है। हालांकि, शनिवार को होने वाली सिंडिकेट की बैठक में कार्रवाई पर अंतिम मुहर लगेगी।
इसके पश्चात सीनेट की औपचारिक बैठक में भी डिग्री रद की जाएगी। सीनेट के बाद इस प्रस्ताव को अंतिम रूप से डिग्री रद करने के लिए राजभवन भेजा जाएगा।
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दो कर्मियों के निलंबन की अनुशंसा
पूर्व कानून मंत्री की फर्जी डिग्री मामले में टीएमबीयू ने दो कर्मियों को निलंबित करने की अनुशंसा की गई है। इसमें परीक्षा विभाग 'सी" में कार्यरत दिनेश श्रीवास्तव और पेंशन शाखा में कार्यरत निरंजन कुमार शामिल हैं।
इसमें दिनेश तत्कालीन रजिस्टे्रशन शाखा में तैनात था। उसने ही गलत तरीके से तोमर का रजिस्ट्रेशन किया था। सूत्रों की मानें तो इस दौरान पैसों का खेल हुआ था।
वहीं निरंजन भी इस प्रकरण में साथ भागीदार की भूमिका में था। तोमर प्रकरण में दो लोगों के निलंबन के अलावा विश्वनाथ सिंह लॉ कॉलेज के पूर्व प्राचार्य सुरेंद्र प्रसाद सिंह को कारण बताओ नोटिस दिया गया है।
इसके अलावा कृष्णानंद, जनार्दन प्रसाद यादव पर भी कानूनी कार्रवाई होगी। पीजी उर्दू के शिक्षक रजी अहमद को विश्वविद्यालय के कार्यों से अलग रहने, पूर्व परीक्षा नियंत्रक राजीव रंजन पोद्दार को भविष्य में कभी भी विश्वविद्यालय के परीक्षा कार्यों से अलग रहने की सजा दी गई है।
वहीं अनिरुद्ध प्रसाद का एक इनक्रीमेंट रोक दिया गया है। इसके अलावा सेवानिवृत्त बड़े नारायण सिंह, राजेंद्र प्रसाद सिंह, सदानंद राय, राम अवतार शर्मा, शंभूनाथ सिन्हा, भूदेव प्रसाद सिंह, एचके पांडेय से भविष्य में कभी विश्वविद्यालय में कोई कार्य नहीं लेने की भी अनुशंसा की गई है।
यह है मामला
दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर ने दावा किया था कि उन्होंने सत्र 1994-97 के दौरान मुंगेर के विश्वनाथ सिंह लॉ कॉलेज से पढ़ाई की थी।
मामला पकड़ में आने के बाद पता चला कि भागलपुर विश्वविद्यालय के कर्मचारियों की मिलीभगत से फर्जी रजिस्ट्रेशन कराकर तोमर को कानून की डिग्री जारी कर दी गई थी।
डिग्री लेते समय माइग्रेशन सर्टिफिकेट और अंकपत्र जमा करने पड़ते हैं। लेकिन तोमर द्वारा जमा किए गए दोनों सर्टिफिकेट अलग-अलग विश्वविद्यालयों के हैं।
अवध विश्वविद्यालय, फैजाबाद का अंकपत्र और बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी का माइग्रेशन सर्टिफिकेट जमा किया गया। दोनों विश्वविद्यालयों ने पूर्व में ही इन प्रमाणपत्रों की वैधता को खारिज कर दिया है।