कश्मीर में सरकार बनाने को शाह के तरकश में कई तीर
जम्मू-कश्मीर में पीडीपी से सिर्फ तीन सीट पीछे छूटी भाजपा के पास सरकार गठन के लिए तरकश में कई तीर हैं। वह कोई दांव छोडऩा नहीं चाहती है। खंडित जनादेश में यूं तो अपनी ओर से जल्दबाजी नहीं दिखाई जाएगी, लेकिन यह संकेत दिया जाने लगा है कि जम्मू के
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। जम्मू-कश्मीर में पीडीपी से सिर्फ तीन सीट पीछे छूटी भाजपा के पास सरकार गठन के लिए तरकश में कई तीर हैं। वह कोई दांव छोडऩा नहीं चाहती है। खंडित जनादेश में यूं तो अपनी ओर से जल्दबाजी नहीं दिखाई जाएगी, लेकिन यह संकेत दिया जाने लगा है कि जम्मू के जनादेश को अनदेखा कर सूबे में कोई तर्कपूर्ण व नैतिक बल की सरकार बन भी नहीं सकती। ध्यान रहे कि जम्मू की करीब आधा दर्जन सीटों को छोड़कर सभी पर कमल ही खिला है। पहली कोशिश होगी कि किसी भी गठबंधन में भाजपा का ही मुख्यमंत्री हो। बातचीत हर स्तर पर शुरू हो चुकी है।
लोकसभा चुनाव के बाद से हुए चुनावों में लगातार सरकार गठन का इतिहास रच रही भाजपा जम्मू-कश्मीर को अपवाद होने देना नहीं चाहती है। इसका स्पष्ट संकेत भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी दे दिया। उन्होंने तीन विकल्पों पहला सरकार बनाने का, दूसरा सरकार में शामिल होने और तीसरा सरकार को समर्थन देने का नाम लिया। सवाल-जवाब में कहा कि सभी मुद्दों पर चर्चा हो रही है और किसी नेता के सार्वजनिक बयान से अलग भी राजनीति होती है।
दरअसल प्रदेश में दूसरे नंबर पर रहने के बावजूद सबसे ज्यादा वोट पाने वाली भाजपा इस अवसर को खोना नहीं चाहती। तार्किक आधार यह है कि जम्मू क्षेत्र के जनादेश को नजरअंदाज कर सरकार बनाना वाजिब नहीं होगा। तार्किक नतीजा यह है कि घाटी में सबसे बड़ी पार्टी बनी पीडीपी या घाटी से सीटें जीतने वाले नेशनल कांफ्रेंस को भाजपा के साथ ही सरकार बनाना होगा। पीडीपी और कांग्र्रेस गठबंधन की संभावनाएं बन सकती हैैं लेकिन सज्जाद लोन की पार्टी पहले ही भाजपा के साथ है। स्वतंत्र विधायकों के रूप में जीते अन्य चार भी भाजपा के संपर्क में हैं। ऐसे में उनके लिए 44 का जरूरी आंकड़ा जुटाना बहुत आसान नहीं है। भाजपा इन आंकड़ों के साथ फैसला पीडीपी और नेशनल कांफ्रेस पर छोडऩा चाहती है। दोनों ही सूरत में भाजपा की कोशिश होगी कि सीएम भाजपा के खाते से बने और सहयोगी दल केंद्र में भी शामिल हो। सूत्रों का मानना है कि जमीनी स्तर पर बहुत काम हो चुका है और अब इन्हें सोचना होगा कि वह केंद्र के साथ चलना चाहता है या नहीं। भाजपा के साथ सरकार गठन पर जम्मू और घाटी दोनों क्षेत्रों के जनादेश का भी पूरा आदर होगा। बुधवार को भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक है। इसमें झारखंड के मुख्यमंत्री तय करने के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर की रणनीति का भी खाका तैयार होगा। झारखंड में 27-28 तक शपथग्रहण हो सकता है। वहीं जम्मू-कश्मीर में थोड़ा वक्त लग सकता है।
भाजपा का अंकगणित
जम्मू-कश्मीर में भाजपा के पास 25 सीटें है जो पीडीपी से तीन कम हैं। भाजपा का कहना है कि सज्जाद लोन की दो सीटें और लद्दाख में एक स्वतंत्र विधायक की सीट जोड़ ली जाए तो वह पीडीपी के बराबर 28 की संख्या पर पहुंच जाएगी। लोन को भाजपा का समर्थन था जबकि लद्दाख से जीते विधायक भाजपा के संपर्क में हैं।
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