भारी खर्च के बाद भी बढ़ने की जगह घट गए भारत में आने वाले विदेशी सैलानी
विदेशों में सरकार ने पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए जो ऑफिस खोले थे वह अपने खर्च के चलते सफेद हाथी बन गए हैं। वहीं हाल के कुछ वर्षों में पर्यटकों की संख्या भी घट गई है।
नई दिल्ली (स्पेशल डेस्क)। केंद्र सरकार द्वारा भारी तामझाम करने के बाद भी भारत में आने वाले विदेशी सैलानियों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है। इतना ही नहीं इस काम के लिए विदेशों में खोले गए पर्यटन आफिस भी अब अपने खर्च को लेकर सफेद हाथी साबित हो रहे हैं। इसकी वजह इन पर होने वाले खर्च की तुलना में कम होते पर्यटकों की संख्या है। यहां पर यह बात बता देनी भी जरूरी हो जाती है कि विदेशी आय अर्जित करने का एक माध्यम देश में आने वाले पर्यटक भी होते हैं, लेकिन अब इसमें गिरावट दर्ज की गई है।
बंद होंगे विदेशों में खुले ये ऑफिस
सरकार के शीर्ष थिंक टैंक नीति आयोग ने विदेशों में स्थित केंद्रीय पर्यटन मंत्रलय के कई दफ्तरों को बंद करने की सिफारिश की है। आयोग का कहना है कि इन दफ्तरों में गैर-पेशेवर स्टाफ तैनात है इसलिए इन्हें चलाने का कुछ फायदा नहीं हो रहा है। पेरिस, लंदन, मिलान और टोक्यो जैसे शहरों में स्थित इन गैरजरूरी दफ्तरों को चलाने पर सरकार को भारी-भरकम धनराशि खर्च करनी पड़ रही है। इसके चलते भारतीय पर्यटन के प्रचार-प्रसार के बजट का एक बड़ा हिस्सा इसमें खर्च हो जाता है। नीति आयोग ने इस संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय को रिपोर्ट भेजी है।
पर्यटन ऑफिसों पर हो रहा भारी खर्च
सरकार ने जो विदेशों में अपने पर्यटन ऑफिस खोले हैं उन पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च होता है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि जिन देशों में ये ऑफिस हैं वहां से भारत आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ने की बजाए घट गए हैं। केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि भारत आने वाले फ्रांस और जर्मनी जैसे कई यूरोपीय देशों के पर्यटकों की संख्या में हाल के वर्षो में तेजी से कमी आई है।
मंत्रालय के आंकड़े करते हैं बयां
गौरतलब है कि केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने देश के बाहर करीब 14 शहरों में अपने ऑफिस खोले हैं। इनमें न्यूयॉर्क, लॉस एंजिलिस, टोरंटो, फ्रेंकफर्ट, मिलान, एम्सटरडम, पेरिस, लंदन, दुबई, जोहानिसबर्ग, टोक्यो, बीजिंग, सिडनी और सिंगापुर शामिल हैं। इन ऑफिसों का काम विदेशी पर्यटकों को भारत घूमने के लिए आकर्षित करना और देश के पर्यटन का प्रचार-प्रसार करना है। लेकिन पर्यटन मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2013 से 2015 के दौरान फ्रांस, जर्मनी, इटली और नीदरलैंड जैसे संपन्न यूरोपीय देशों से भारत आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ने के बजाए तेजी से घटी है।
यूरोप के चार देशों में बने है पर्यटन ऑफिस
यूरोप के इन चारों देशों में पर्यटन मंत्रालय के बाकायदा ऑफिस बने हुए हैं और उनमें सरकारी अफसर तैनात हैं। इन दफ्तरों को चलाने के लिए भारत सरकार करदाताओं की गाढ़ी कमाई से भारी भरकम धनराशि भी खर्च कर रही है। इतना ही नहीं यूरोप के अन्य देशों जैसे- आस्ट्रिया, बेल्जियम, डेनमार्क, यूनान, स्विटजरलैंड और स्वीडन से भी भारत आने वाले पर्यटकों की संख्या में 2013 से 2015 के दौरान कमी आई है।
दक्षिण अफ्रीका से भी कम आए पर्यटक
इसी तरह दक्षिण अफ्रीका से भी भारत आने वाले पर्यटकों की संख्या में गिरावट आई है। 2014 और 2015 दोनों साल इन देशों से भारत आने वाले पर्यटकों की संख्या में भारी कमी दर्ज की गई है। इसी तरह अफ्रीका महाद्वीप के एक अन्य देश नाइजीरिया से भी इन दोनों वर्षो में भारत आने वाले पर्यटकों की संख्या में गिरावट आई है। कुछ वर्ष पहले तक पूर्वी एशियाई देश जापान से भी भारत में काफी तादाद में पर्यटक आते थे, लेकिन हाल के वर्षो में वहां से भी भारत आने वाले पर्यटकों की संख्या कम हुई है।
कनाडा और आस्ट्रेलिया के पर्यटकों में वृद्धि
ऐसा ही कुछ हाल खाड़ी के देशों की तरफ से आने वाले पर्यटकों का भी हुआ है। खाड़ी देशों में पर्यटन मंत्रालय का ऑफिस दुबई में है। इस क्षेत्र में संयुक्त अरब अमीरात से भारत आने वाले पर्यटकों की संख्या में जहां 2014 में वृद्धि हुई, वहीं 2015 में इसमें काफी गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि, चीन अमेरिका, कनाडा और आस्ट्रेलिया जैसे कुछ ही देश हैं जहां से भारत आने वाले पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हुई है। पर्यटन मंत्रालय की वेबसाइट पर भारत आने वाले पर्यटकों के संबंध में देशवार आंकड़े वर्ष 2015 तक ही उपलब्ध हैं।