भारत के तेवर और सख्त, पाकिस्तान से पूछा- कब खाली कर रहे पीओके
भारत ने पाकिस्तान को एक बार फिर साफ किया है कि अगर उसके साथ कोई बात होगी तो वह पाक अधिकृत कश्मीर को आजादी दिलाने पर होगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। गुलाम कश्मीर पर भारत ने अपना रुख और सख्त कर दिया है। कश्मीर में जारी हिंसा पर सर्वदलीय बैठक में जिस तरह से पीएम नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की बात कही थी अब भारतीय कूटनीति उस बात को और जोर शोर से आगे बढ़ाने में जुट गया है।
भारत ने पाकिस्तान को एक बार फिर साफ किया है कि अगर उसके साथ कोई बात होगी तो वह पाक अधिकृत कश्मीर को आजादी दिलाने पर होगी। भारतीय विदेश सचिव एस जयशंकर ने इस बारे में पाकिस्तान के विदेश सचिव को पांच मुद्दों पर वार्ता करने का जवाब भेजा है। पाकिस्तान की तरफ से पिछले हफ्ते कश्मीर पर वार्ता का प्रस्ताव भेजा गया था।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने बताया जिन पांच मुद्दों पर बात करने का प्रस्ताव किया उसमें सबसे पहला है जम्मू व कश्मीर में पाकिस्तान की तरफ से जारी आतंक का खात्मा। दूसरा विषय है कश्मीर में हिंसा को बढ़ावा देने की किसी भी अन्य नीति को समाप्त करना। तीसरा- पाकिस्तान में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घोषित आतंकियों पर काबू पाना और उन पर कानूनी कार्रवाई करना। चौथा विषय है वहां चल रहे आतंकी प्रशिक्षण शिविरों को बंद करने का। भारत का पांचवा प्रस्ताव उन आतंकियों पर काबू करने को लेकर है जो भारत से भाग कर पाकिस्तान में रह रहे हैं।
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स्वरूप ने कहा कि, ''विदेश सचिव ने साफ तौर पर कहा है कि वह पाकिस्तान के विदेश सचिव के साथ पाक अधिकृत कश्मीर को खाली करवाने के मुद्दे पर जितनी जल्दी हो सके बात करने को तैयार हैं। पाकिस्तान के विदेश सचिव एजाज अहमद चौधरी ने ही वार्ता का प्रस्ताव भेजा था। भारत ने उसका जवाब दे दिया है और अब गेंद पाकिस्तान के पाले में है।'' भारत के इस जवाब से पाकिस्तान की एक तरह से बोलती बंद है। क्योंकि भारतीय उच्चायुक्त गौतम बंबवाले ने बुधवार को ही यह पत्र पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय को सौंपा दिया था लेकिन गुरुवार को पाकिस्तान ने इस पर चुप्पी साध ली। पाकिस्तान में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नफीस जकारिया ने इस सवाल पर कोई जवाब नहीं दिया।
स्वरूप ने कहा कि पाकिस्तान का आतंक के साथ बहुत पुराना रिश्ता है। खास तौर पर जम्मू व कश्मीर में वर्ष 1947 से ही वह आतंक को बढ़ावा देने में जुटा है। पहले वर्ष 1947 में फिर वर्ष 1965 में और उसके बाद वर्ष 1999 में कारगिल में पाकिस्तान ने घुसपैठ की। जबकि पाकिस्तान ने बार बार यह वादा किया है कि वह कोई घुसपैठ नहीं करेगा। वर्ष 1972 के शिमला समझौते में और उसके बाद 1999 में लाहौर घोषणापत्र में और उसके बाद पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने भी वादा किया कि भारत में आतंकी गतिविधियों को मदद नहीं दी जाएगी और बातचीत से हर मुद्दे का हल निकाला जाएगा लेकिन अभी तक घुसपैठ हो रहा है।
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