दिवालिया हुए कर्जदार की विदेशी संपत्ति पर होगा कर्जदाता का हक
दिवालिया घोषित करने वाले कर्जदारों पर सरकार का शिकंजा और कसने जा रहा है। ऐसे दिवालिए जो कर्च नहीं चुका पाते हैं उनकी विदेशी संपत्ति को भी नियंत्रण में लिया जा सकेगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बैंकों, वित्तीय संस्थाओं या निवेशकों के पैसे लेकर खुद को दिवालिया घोषित करने वाले कर्जदारों की अब विदेशी संपत्ति बच नहीं सकेगी। कर्ज न चुकाने वाले ऐसे दिवालियों की देश से बाहर स्थित संपत्ति दिवालिएपन पर प्रस्तावित नए कानून के दायरे में आएगी। ऐसा होने पर दिवालिया घोषित होने वाले व्यक्ति या कंपनी की विदेशी संपत्ति को भी नियंत्रण में लिया जा सकेगा।
'इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड-2015' पर विचार कर रही संसद की संयुक्त समिति ने यह विशेष प्रावधान इस विधेयक के संशोधित मसौदे में जोड़ा है। सरकार ने यह विधेयक 21 दिसंबर 2015 को लोक सभा में पेश किया था और इसके मूल मसौदे में यह प्रावधान शामिल नहीं था।
समिति ने विधेयक में नया उपबंध 234 (एक और दो) जोड़ा है जिसमें विदेशों के साथ समझौता करने का प्रावधान किया गया है। इस उपबंध के तहत सरकार दिवालिएपन पर कानून को लागू करने के लिए दूसरे देशों के साथ समझौता कर सकेगी। साथ ही सरकार गजट अधिसूचना के जरिए किसी भी कार्पोरेट या दूसरे कर्जदार तथा उनके गारेंटर की भारत से बाहर संपत्ति के संबंध में भी इस कानून के दायरे में लाने का आदेश दे सकेगी।
भारतीय जनता पार्टी के भूपेन्द्र यादव की अध्यक्षता वाली लोक सभा और राज्य सभा की संयुक्त समिति ने वृहस्पतिवार को अपनी रिपोर्ट लोक सभा में पेश की। समिति ने दूसरा महत्वपूर्ण संशोधन यह किया है कि अगर कोई कंपनी दिवालिया होती है और उसकी कोई संपत्ति बेची जाती है तो उस पर पहला हक कंपनी के कामकारों का होगा और उनके दो साल तक के बकाया चुकाने होंगे।
पहले यह अवधि एक साल थी। समिति ने अब इसे बढ़ाकर दो साल कर दिया है। कंपनी के कामगारों के बाद उन कर्जदाताओं की बारी आएगी जिन्होंने उक्त संपत्ति के ऐवज में लोन दिया था। इसके साथ ही कामगारों की पेंशन, फंड और गे्रच्युटी के संबंध में भी देयता के भुगतान को भी प्राथमिकता दी जाएगी।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि समिति की लोक सभा में पेश होने के बाद सरकार इस विधेयक को संसद के मौजूदा सत्र में ही चर्चा के लिए रखेगी। इससे यह विधेयक मौजूदा सत्र में ही पारित होने की उम्मीद है। यह विधेयक पारित होने के बाद देश में दिवालिएपन पर एक ही कानून हो जाएगा। साथ ही दिवालिएपन की प्रक्रिया में समय भी कम लगेगा। इससे देश में कारोबार की प्रक्रिया सरल बनेगी।