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दिल्ली-एनसीआर में छाई धुंध की चादर

दीपावली के पटाखों और प्रदूषण का असर मंगलवार को दिल्ली-एनसीआर [राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र] में दिखा। धुंध-धुएं की चादर के कारण न्यूनतम तापमान सामान्य से तीन डिग्री नीचे लुढ़क कर 12.3 डिग्री सेल्सियस रह गया।

By Edited By: Published: Wed, 06 Nov 2013 08:51 AM (IST)Updated: Wed, 06 Nov 2013 10:15 AM (IST)
दिल्ली-एनसीआर में छाई धुंध की चादर

नई दिल्ली। दीपावली के पटाखों और प्रदूषण का असर मंगलवार को दिल्ली-एनसीआर [राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र] में दिखा। धुंध-धुएं की चादर के कारण न्यूनतम तापमान सामान्य से तीन डिग्री नीचे लुढ़क कर 12.3 डिग्री सेल्सियस रह गया।

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मौसम वैज्ञानिक के अनुसार अगले दो से तीन दिन बाद ही राहत की उम्मीद की जा सकती है। मंगलवार को कई क्षेत्रों में पूरे दिन सूर्य के दर्शन नहीं हुए और लोगों की दिनचर्या भी बदल गई। मौसम वैज्ञानिक आरके जेनामणि के अनुसार यह स्थिति निचले स्तर पर बादल बनने, धरती से उत्सर्जित रेडिएशन को आकाश में ऊपर जाने की जगह नहीं मिलने और हवा न चलने की वजह से है। ऐसे में प्रदूषण के कण भी इन बादलों में ही जमा हो गए हैं। तेज हवा चलने पर ही धुंध और धुंए की यह चादर छंटेगी। वर्तमान में सड़कों पर दृश्यता सीमा 100 से 300 मीटर रह गई है जिसके चलते वाहन चालकों को सुबह व शाम के समय गाड़ी चलाने में काफी परेशानी हुई। मंगलवार को कई क्षेत्रों में दिनभर सूर्य देवता के दर्शन नहीं हुए। परिणाम स्वरूप अधिकतम तापमान पांच डिग्री की गिरावट के साथ 25.4 डिग्री सेल्सियस रह गया। आ‌र्द्रता का स्तर अधिकतम 93 प्रतिशत एवं न्यूनतम 53 प्रतिशत रहा।

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मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार जम्मू कश्मीर की तरफ बन रहे पश्चिमी विक्षोभ के कारण अगले दो तीन दिनों में उत्तर पश्चिमी हवाएं चलने की उम्मीद है।

अलग-अलग होता है असर

धुंध या धुंए की यह चादर सभी जगह एक सी हो, ऐसा नहीं होता। जिन इलाकों में प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयां होती हैं या जहां वाहनों का प्रदूषण ज्यादा होता है। वहां यह चादर भी अधिक गहरी होती है।

धुंध की वजह महीन कण

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मैनेजमेंट के अनुसार, दिल्ली पर छाई धुंध का कारण वातावरण में महीन कणों का खतरनाक स्तर पर पहुंचना है। मौसम विभाग के अनुसार, राजधानी के तापमान में अक्टूबर के आखिरी सप्ताह से ही अचानक गिरावट का सिलसिला शुरू हो गया था।

चेस्ट अस्पताल के डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि दिल्ली में छाए धुंध की चादर से दमा के मरीजों की परेशानी बढ़ जाती है। दमा के मरीजों को जितना संभव हो सके वह बाहर नहीं निकले। सुबह जब तक सूर्योदय न हो जाए घर से बाहर खुले में न जाएं। धुंध व प्रदूषण का असर कम नहीं हुआ तो मरीज की स्थिति बिगड़ जाएगी।

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