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राहत-बचाव नाकाफी, बिहार-यूपी में फूट रहा बाढ़ पीड़ितों का गुस्सा

राहत और बचाव के प्रयास नाकाफी साबित होने लगे हैं। इसको लेकर बाढ़ प्रभावित लोगों का गुस्सा फूटने लगा है।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Fri, 26 Aug 2016 03:23 AM (IST)Updated: Fri, 26 Aug 2016 07:45 AM (IST)
राहत-बचाव नाकाफी, बिहार-यूपी में फूट रहा बाढ़ पीड़ितों का गुस्सा

नई दिल्ली। गंगा सहित प्रमुख नदियों के जलस्तर में कमी के बावजूद उत्तर प्रदेश और बिहार में बाढ़ के हालात गंभीर बने हुए हैं। राहत और बचाव के प्रयास नाकाफी साबित होने लगे हैं। इसको लेकर बाढ़ प्रभावित लोगों का गुस्सा फूटने लगा है। गुरुवार को वाराणसी में एनडीआरएफ की टीम पर लोगों ने हमला बोल दिया।

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उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा भयावह स्थिति बलिया में है। यहां दुबे छपरा रिंग बांध टूटने के कगार पर है। बांध का सिर्फ एक फीट हिस्सा शेष बचा है। बचाव दल ने हाथ खड़े कर दिए हैं। पुलिस समीपवर्ती आबादी को खाली कराने में जुट गई है। एनएच-31 पर आवागमन पूरी तरह रोक दिया गया है।

बाढ़ में फंसे लोगों तक समुचित राहत न पहुंचने से परेशान लोगों का सब्र टूटने लगा है। गुरुवार दोपहर बनारस के लंका क्षेत्र में राहत व बचाव सामग्री लेकर पहुंची एनडीआरएफ टीम पर लोगों ने पथराव कर दिया। हमलावरों ने तीन जवानों को पीटने के बाद उनकी नाव को क्षतिग्रस्त कर दिया और राहत सामग्री लूट ली।

हमले में एक जवान को गंभीर चोट आई है। पुलिस का कहना है कि हमला करने वालों ने शराब पी रखी थी। गाजीपुर में स्थिर हो चुकी गंगा का जलस्तर फिर बढ़ना शुरू हो गया। वहां 322 गांव डूब क्षेत्र में आ चुके हैं। मीरजापुर में गंगा घटाव पर रहीं, पर कटान का बढ़ता दायरा लोगों की नींद उड़ाए हुए है।

चंदौली में गंगा का जलस्तर फिलहाल स्थिर है। भदोही में पानी से घिरे आधा दर्जन से अधिक गांवों में हाहाकार मचा है। सोनभद्र में रिहंद जलाशय में पानी का दबाव कम होता देख नौ फाटकों में आठ को बंद कर दिया गया है।
जलस्तर में कमी
इलाहाबाद और वाराणसी में बाढ़ से बेहाल लोगों के लिए गुरुवार का दिन कुछ हद तक राहत भरा रहा। इलाहाबाद में गंगा और यमुना की विकरालता थमी रही। दोनों नदियों का पानी घट रहा है। शहरी और ग्र्रामीण क्षेत्रों में 10 लाख लोगों की आबादी प्रभावित है।

प्रभावितों में वायुसेना के हेलीकाप्टर से राहत सामग्री पहुंचाई गई। गंगा में स्नान के दौरान दो युवकों की मौत हो गई। वाराणसी में खतरे के निशान से एक मीटर से अधिक ऊपर बह रही गंगा का जलस्तर 25 घंटे तक थमा रहा।

दोपहर बाद गंगा में धीमे तौर पर घटाव का क्रम शुरू हुआ। बावजूद इसके दुश्वारियों की बाढ़ आ चुकी है। कई गांव और शहरी इलाके जल प्लावन के शिकार हैं। विभिन्न क्षेत्रों में राहत व बचाव की टीम नहीं पहुंच पा रही है।

पुनपुन के तेवर बरकार
बिहार में पटना, भागलपुर, मुंगेर और बक्सर जिले में सात स्थानों पर गंगा खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। छपरा में गंगा और घाघरा के जल स्तर में कमी आई है, लेकिन अभी एनएच पर आवागमन बंद है। डेहरी के पास सोन का पानी सतह पर आ गया है। लेकिन पुनपुन का तेवर अभी बरकरार है, जिसके कारण हाथीदह के नीचे गंगा अभी स्थिर बनी हुई है।

भागलपुर में गंगा खतरे के निशान से 120 सेमी ऊपर बह रही है। कटिहार में समस्या जस की तस है। समस्तीपुर में भी गंगा स्थिर बनी हुई है। शाहपुर पटोरी के कई नए गांवों में पानी फैल गया है। जिले में डूबने से पांच की मौत हो गई। पूर्वी चंपारण जिले के हरिसिद्धि प्रखंड के जमुनिया कैनाल के 64-65 आरडी पर बुधवार की रात बांध टूट गया।

छपरा में गंगा और घाघरा के जल स्तर में कमी आई है, लेकिन अभी एनएच पर आवागमन बंद है। सूबे में बाढ़ में डूबकर मरने वालों की संख्या सौ पार कर गई है। सिर्फ भागलपुर, खगड़िया, मुंगेर, लखीसराय व कटिहार में अब तक 91 लोगों की मौत हुई है।
मालदा के 27 गांव जलमग्न
पश्चिम बंगाल के मालदा में भी बाढ़ की स्थिति भयावह बनी हुई है। गुरुवार को यहां एक बच्चे की बाढ़ में बह कर मौत हो गई। यहां 27 गांव उफनाई गंगा की चपेट में हैं। मानिकचक, बीरनगर और कृष्णापुर पंचायतें जलमग्न हैं। दो मार्गों पर आवागमन ठप है।
साहिबगंज शहर में पहुंचा पानी
झारखंड के साहिबगंज जिले में पांच प्रखंड की 36 पंचायत के सैकड़ों एकड़ फसल डूबकर बर्बाद हो चुकी है। 70 हजार की आबादी बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित है। वहीं लोग जानमाल की क्षति को लेकर भयभीत हैं। लोगों ने ऊंचे स्थान पर शरण ले रखी है। साहिबगंज शहर के निचले इलाके में भी बाढ़ का पानी फैल रहा है। हरिपुर, भरतिया कॉलोनी सहित अन्य मुहल्ले के कई घरों में पानी प्रवेश कर गया है।
बाढ़ रोक रही अंतिम यात्रा
राजस्थान के दक्षिणी हिस्से में बारिश के कारण नदी-नालों का उफान जनजीवन को इस हद तक प्रभावित कर रहा है कि 36 घंटे तक दो लोगों की शवयात्रा नहीं निकल पाई। उफान कम होने के बाद इन शवों का अंतिम संस्कार हो पाया। मामला उदयपुर से कुछ दूरी पर स्थित बुझड़ा गांव का है। यह गांव उदयपुर की पिछोला झील को भरने के लिए तैयार की गई देवास परियोजना के डूब क्षेत्र में आता है।

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