Move to Jagran APP

बिहार में चूहे खाने को मजबूर बाढ़ से घिरे दलित, DM बोले- कोई समस्या नहीं

बिहार के सहरसा में दलित गांव बनाही में लोग चूहे खाकर गुजारा कर रहे हैं। दूसरी ओर डीएम ने कहा कि ग्रामीण ऐसा मजबूरी में नहीं बल्कि आदतन कर रहे हैं।

By Amit AlokEdited By: Published: Sat, 30 Jul 2016 12:48 PM (IST)Updated: Tue, 09 Aug 2016 09:38 PM (IST)
बिहार में चूहे खाने को मजबूर बाढ़ से घिरे दलित, DM बोले- कोई समस्या नहीं
बिहार में चूहे खाने को मजबूर बाढ़ से घिरे दलित, DM बोले- कोई समस्या नहीं

पटना [वेब डेस्क]। बिहार के बाढ़ प्रभावित इलाकों, खासकर कोसी व सीमांचल में हालात काफी खराब हैं। कोसी के पानी का दंश झेल रहे सहरसा जिले के कई गांवों में भोजन-पानी का जुगाड़ समस्या बन गई है। सहरसा के सलखुआ प्रखंड स्थित दलित आबादी वाले बनाही गांव के लोग तो चूहे खाकर भूख मिटा रहे हैं।
इस बाबत पूछने पर डीएम विनोद सिंह गुंजियाल ने कहा कि गांव में चूहे आसानी से मिल रहे हैं, इसलिए लोग खा रहे हैं। डीएम के दलित बस्ती में राहत नहीं पहुंचने के कारण ऐसा होने से इंकार किया है।
पढ़ें : साक्षी नहीं हैं धोनी का पहला प्यार...जानिए फिर कौन थी वो लड़की
बाढ़ से घिरी एक हजार दलित आबादी
सहरसा के सलखुआ में दलितों का गांव है बनाही। यहां की करीब एक हजार की आबादी बाढ़ से घिरी है। गांव के पौने दो सौ घर चारों तरफ बाढ़ के पानी से घिरे हैं। कहने को तो प्रशासन बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत सामग्री का वितरण कर रहा है, लेकिन यहां के लोगों के अनुसार उन्हें इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। खाने-पीने का सामान लाना भी मुश्किल हो गया है।
खतों से निकल ऊंची जगह पहुंचे चूहे
ग्रामीण ऊंची जमीन पर शरण लिए हुए हैं। उधर, बाढ़ का पानी भर जाने के कारण खेतों से निकलकर सांप व चूहे आदि जीव भी बड़ी संख्या में वहां पहुंच गए हैं। भूख से परेशान आबादी ने चूहों को खाना शुरू कर दिया है।लोग मजबूरी में चूहे खा रहे हैं।
पढ़ें : ये हैं पटना के भिखारी पप्पू , इनके आधा दर्जन अकाउंट में करोड़ों जमा...
यूं किया मजबूरी बयां
बनाही गांव के रामोतार सादा और रामविचार सादा ने बताया कि वे लोग कई दिनों से गांव में कैद होकर रह गए हैं। भोजन के अभाव में चूहा खाने की मजबूरी है। गांव के प्रभु सादा व अंगूरी सादा के अनुसार वे रोजाना दर्जन भर से अधिक चूहे पकड़ लेते हैं।
40 से 50 रुपये किलो बिक रहे चूहे
गांव के बेचन सादा जैसे लोगों ने तो इस मजबूरी में अपना व्यवसाय ढ़ूंढ़ लिया है। वे चूहा मारकर बेचते हैं और जो नहीं बिकता है, खा लेते हैं। ये लोग चूहे पकड़कर 40 से 50 रुपये किलो तक के दमा में बेच रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.