रेलवे लाइनों के किनारे लगेंगे पांच करोड़ पेड़
रेलवे ने पर्यावरण मुहिम छेड़ते हुए रेलवे पटरियों के साथ-साथ वृक्षारोपण का ऐलान किया है। पंजाब और हरियाणा राज्यों से इसकी शुरुआत की जा रही है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रेलवे ने पर्यावरण मंत्रालय और राज्य सरकारों के सहयोग से ट्रैक के किनारे बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण करने का एलान किया है। इसकी शुरुआत पंजाब और हरियाणा से की जा रही है, जहां पटरियों के किनारे पांच लाख पौधे लगाए जाएंगे। इस महाअभियान के तहत देश भर में कुल पांच करोड़ पौधे लगाने की योजना है।
सोमवार को रेल भवन में आयोजित समारोह में रेलवे ने पंजाब और हरियाणा सरकारों के साथ समझौते किए। इस अवसर पर रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि इसी तरह के समझौते अन्य राज्यों के साथ भी किए जाएंगे जिनमें महाराष्ट्र शामिल हैं जहां 50 लाख पौधे लगाने की योजना है। उन्होंने इस पहल को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा पेड़ों की निगरानी व रखरखाव की निगरानी के लिए पर्यावरण मंत्रालय, राज्य सरकारों तथा रेलवे के अधिकारियों का संयुक्त वन प्रबंधन समूह बनाया जाएगा, जिसकी कमान रेलवे के पर्यावरण प्रकोष्ठ के अधिकारियों के हाथों में होगी।
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प्रभु ने कहा देश में पंजाब के पास सर्वाधिक सिंचित भूमि है लेकिन वनों का अभाव है। इसलिए वहां वृक्षारोपण की अत्यंत आवश्यकता है। यह समझौता इसमें मददगार होगा। हालांकि ट्रैक के किनारे वृक्ष लगाने की जिम्मेदारी वन विभाग की होगी, लेकिन ये वृक्ष संरक्षित वन क्षेत्र के दायरे में नहीं आएंगे और रेल परियोजनाओं के लिए जमीन की आवश्यकता पड़ने पर इन्हें काटा जा सकेगा। रेलमंत्री के अनुसार वृक्षारोपण के अलावा उनके मंत्रालय ने रेलवे लाइनों के किनारे तालाब व झीलें खोदने या बहाल करने की योजना भी बनाई है। इसी के साथ सभी रेलवे इमारतों में वाटर हॉरवेस्टिंग के इंतजाम किए जाएंगे।
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कार्यक्रम में मौजूद पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पहल को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि इससे रेलवे अधिकाधिक वृक्ष लगाने को प्रेरित होगा। हमारा उद्देश्य वन क्षेत्र के बाहर अतिरिक्त वृक्ष लगाकर वन क्षेत्र में वृद्धि करना है। लेकिन हम इन वृक्षों को वन क्षेत्र घोषित नहीं करेंगे। इससे जरूरत पड़ने पर वृक्षों को काटा जा सकेगा तथा नई जगह पर और पेड़ लगाए जा सकेंगे। उन्होंने कहा कि उनके मंत्रालय की योजना राजमार्गो तथा गंगा नदी के किनारे भी इसी तर्ज पर वृक्षारोपण करने की है। इसके लिए नियमों में बदलाव के लिए शीघ्र ही सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा।
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उन्होंने कहा वृक्षारोपण न केवल पर्यावरण, बल्कि जल व मृदा संरक्षण के लिए भी अहम है। इसलिए सुंदर पेड़ों के बजाय ऐसे वृक्ष लगाए जाने चाहिए जो उस क्षेत्र की मिट्टी व जलवायु के अनुकूल हों। पश्चिमी क्षेत्र के उपयुक्त पेड़ पूर्वी क्षेत्र के अनुकूल नहीं हो सकते। बड़े पेड़ों के साथ छोटे पेड़ भी लगाए जाने चाहिए। इस काम में स्वयंसेवी संगठनों के अलावा रेलवे सुरक्षा बल की सेवाएं भी ली जा सकती हैं।