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दिल को मिला सुकून, बेटा लौटकर वतन आ गया

एक फोन ने मेवली निवासी ऊदल के घर के माहौल को ही बदल दिया। घर में जैसे दीवाली की खुशियां इतराने लगीं। आखिर ये खुशियां होती भी क्यों नहीं, बेटे के पाकिस्तान की जेल में बंद होने की सूचना के बाद से बीमार पड़े बूढ़े माता-पिता ने जैसे ही सुना

By Sanjay BhardwajEdited By: Published: Wed, 18 Feb 2015 09:31 PM (IST)Updated: Wed, 18 Feb 2015 09:59 PM (IST)
दिल को मिला सुकून, बेटा लौटकर वतन आ गया

फतेहपुर [गोविंद दुबे]। एक फोन ने मेवली निवासी ऊदल के घर के माहौल को ही बदल दिया। घर में जैसे दीवाली की खुशियां इतराने लगीं। आखिर ये खुशियां होती भी क्यों नहीं, बेटे के पाकिस्तान की जेल में बंद होने की सूचना के बाद से बीमार पड़े बूढ़े माता-पिता ने जैसे ही सुना कि बेटा जेल से छूटकर वतन आ गया है, उनकी आंखों से खुशी से आंसू छलक पड़े। वे कहते हैं कि दिल को तसल्ली मिल गई कि बेटा अपने वतन आ गया है। अब घर तो आएगा ही।

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ऊदल का सबसे बड़ा बेटा दिनेश अपने मौसा संतोष के साथ फरवरी 2014 में गुजरात बंदरगाह में मछलियां पकड़ने की नौकरी करने गया था। नाव पाक सीमा में पहुंचने पर तीसरे दिन ही दिनेश सहित सात लोगों को पाकिस्तान पुलिस ने हिरासत में लेकर जेल भेज दिया। पिछले साल होली के पहले वृद्ध पिता को यह सूचना मिली कि दिनेश पाकिस्तान की जेल में बंद है तो उनका दिल बैठ गया।

उम्मीद थी कि बेटा कमाकर पैसा लाएगा और बूढ़े हाथों का सहारा बनेगा, लेकिन बेटे के दूसरे वतन की जेल में बंद होने से उनकी सारी खुशियां छिन गई। देश वह भी पाकिस्तान। हर पल यही चिंता रहती थी कि दिनेश लौटकर आएगा या नहीं?

दो दिन पहले सोमवार की रात बेटे की मौसी का फोन आया कि दिनेश जेल से छूट गया है, जल्द ही घर आ जाएगा। छोटे बेटे पंकज ने पिता को जैसे ही यह खबर दी तो हताश बूढ़ी आंखें चमक उठीं।

पिता ने कहा कि 'हमार पतरौल (संतोष) साढ़ू बेटवा को नौकरी दिलवाये खातिर लै गवा रहै, बच्चवा का छुटवायें खातिर बहुत परेशान रहा, जहिके पास जइत रहे यहै कहत रहै कि हुआं कोहूका बस नहीं आय, लागत रहै कि अब हमार बच्चा हमका न मिली, भगवान हमार सुनि लिहिस। हमार बच्चा दुसरे वतन से अपने वतन मा आ गा है, चिंता दूर होहिगे, अब तो घर आही जाई'। घर-परिवार में ही नहीं पूरे गांव में दिनेश के छूट जाने की खुशी है। ऊदल के घर में सुबह से मिलने वालों को तांता लगा है।

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